HI/680309 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680309IV-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|कृष्ण का | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680309IV-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|कृष्ण का अर्थ है सर्व-आकर्षक, और यह भगवान का उत्तम नाम है। जब तक ईश्वर सर्व-आकर्षक नहीं होंगे, तब तक वह भगवान नहीं कहलायेंगे, वह भगवान नहीं है। भगवान केवल हिन्दु के या ईसाई के या यहूदियों के या मुसलमानो के ईश्वर नहीं हैं। भगवान सबके लिए हैं, वह सर्व-आकर्षक हैं। वह ऐश्वर्य में पूर्ण है। वह पूरी तरह ज्ञान में है, ज्ञान में परिपूर्ण, सुंदरता में परिपूर्ण, त्याग में परिपूर्ण, प्रसिद्धि में परिपूर्ण, वे बल में भी परिपूर्ण हैं। इस प्रकार से वह सर्व-आकर्षक हैं। तो हमें परमेश्वर के साथ हमारे संबंध को जानना चाहिए। यह इस पुस्तक, भगवद गीता यथारूप, का पहला विषय है। फिर जब हम हमारे संबंध को समझेंगे, तो हम तदनुसार कार्य कर सकते हैं।|Vanisource:680309 - Interview - San Francisco|680309 - इंटरव्यू - सैन फ्रांसिस्को}} |
Latest revision as of 04:47, 18 May 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
कृष्ण का अर्थ है सर्व-आकर्षक, और यह भगवान का उत्तम नाम है। जब तक ईश्वर सर्व-आकर्षक नहीं होंगे, तब तक वह भगवान नहीं कहलायेंगे, वह भगवान नहीं है। भगवान केवल हिन्दु के या ईसाई के या यहूदियों के या मुसलमानो के ईश्वर नहीं हैं। भगवान सबके लिए हैं, वह सर्व-आकर्षक हैं। वह ऐश्वर्य में पूर्ण है। वह पूरी तरह ज्ञान में है, ज्ञान में परिपूर्ण, सुंदरता में परिपूर्ण, त्याग में परिपूर्ण, प्रसिद्धि में परिपूर्ण, वे बल में भी परिपूर्ण हैं। इस प्रकार से वह सर्व-आकर्षक हैं। तो हमें परमेश्वर के साथ हमारे संबंध को जानना चाहिए। यह इस पुस्तक, भगवद गीता यथारूप, का पहला विषय है। फिर जब हम हमारे संबंध को समझेंगे, तो हम तदनुसार कार्य कर सकते हैं। |
680309 - इंटरव्यू - सैन फ्रांसिस्को |