HI/680328 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो सब कुछ, जो कुछ भी हमारे पास है वह चीज़ कृष्ण के पास भी है । लेकिन कृष्ण में वह पूर्णता में है, हम में, हमारे बद्ध जीवन की स्थिति में, यह अपूर्ण है । इसलिए यदि हम स्वयं को कृष्ण में ओतप्रोत करते हैं, तो यह सब प्रवृत्तियाँ एकदम सही हो जाती हैं । जैसा कि मैंने बार-बार उदाहरण दिया है, कि एक गाड़ी सत्तर मील की गति से चल रही है, एक साइकिल चालक गाड़ी को पकड़ता है, वह भी सत्तर मील की गति में चलता है, हालांकि साइकिल को ऐसी गति नहीं मिली है । हालांकि हम ईश्वर के सूक्ष्म कण हैं, अगर हम खुद को भगवद भावनामृत या कृष्ण भावनामृत में तल्लीन कर देते हैं, तो हमारा स्वभाव एक समान बन जाता हैं । यह तकनीक है ।
680328 - प्रवचन श्री.भा. १.३.१-३ - सैन फ्रांसिस्को