HI/680506 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 17:33, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जिसने नियम और विनियमन का चुस्त पालन किया है और कम से कम सोलह माला हरे कृष्ण मंत्र का जप किया है, उसे दूसरा मौका दिया जाता है । तीसरा मौका है त्याग करने का । अगर वह पूरी तरह से प्रभु की सेवा में रहना चाहता है, तो संन्यास है । जैसे दूसरे दिन हम चर्चा कर रहे थे, अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः (भ.गी. ६.१) । बेशक, ये औपचारिक नियामक सिद्धांत हैं । वास्तविक जीवन भीतर है: हम प्रभु की सेवा में कितने गंभीर है ।
680506 - प्रवचन ब्राह्मण दीक्षा - बॉस्टन