HI/680613 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 06:42, 3 June 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
अब आप अपने स्वयं के धर्म का चयन कर सकते हैं। या तो आप एक हिंदू या मुस्लिम या बौद्ध बन सकते हैं - आपको जो भी पसंद हो - श्रीमद भागवत आपको रोकता नहीं है, परंतु यह आपको संकेत देता है कि धर्म का उद्देश्य क्या है। धर्म का उद्देश्य है ईश्‍वर के प्रति अपने प्रेम को विकसित करना। यह वास्तविक धर्म है। तो यहां कृष्ण कहते हैं कि यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति (भ.गी. ४.७)। जैसे ही लोगों में भगवान् के प्रति प्रेम का पतन होता है, इसका अर्थ है कि लोग भूल जाते हैं। ज़्यादातर लोग भूल जाते हैं, क्योंकि कम से कम कुछ लोगों को याद है कि भगवान हैं। परंतु आम तौर पर, इस युग में, वे भूल गए हैं।

680613 - प्रवचन भ.गी. ४.७ - मॉन्ट्रियल