HI/680629 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680629BS-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|"भक्त कर्म के अधीन नहीं हैं। ब्रह्म-संहिता में यह कहा गया है, कर्माणि निर्दहति किन्तु च भक्ति भाजां (Bs. 5.54)। प्रह्लाद महाराज को उनके पिता ने इतने तरीकों से अत्याचार किया था, लेकिन वह प्रभावित नहीं हुए। वह प्रभावित नहीं हुए। सतही तौर पर ... ईसाई बाइबिल में भी उसी तरह, जैसे कि प्रभु यीशु मसीह पर अत्याचार किया गया था, लेकिन वह प्रभावित नहीं हुए थे। यह साधारण आदमी और भक्तों, या पारलौकिक लोगों के बीच का अंतर है। जाहिर है कि, यह देखा जाता है कि एक भक्त पर अत्याचार किया जा रहा है, लेकिन उसे यातनाएं नहीं होती है।" |Vanisource:680629 - Lecture Excerpt - Montreal|680629 - प्रवचन Excerpt - मॉन्ट्रियल}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680626 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680626|HI/680701 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680701}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680629BS-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|भक्त कर्म के अधीन नहीं हैं । ब्रह्म-संहिता में यह कहा गया है, कर्माणि निर्दहति किन्तु च भक्ति भाजां (ब्र.सं. ५.५४) । प्रह्लाद महाराज पर उनके पिता ने इतने तरीकों से अत्याचार किया था, लेकिन वे प्रभावित नहीं हुए । वे प्रभावित नहीं हुए । बाहरी तौर पर... ईसाई बाइबिल में भी उसी तरह, जैसे कि प्रभु यीशु मसीह पर अत्याचार किया गया था, लेकिन वे प्रभावित नहीं हुए थे । यह साधारण आदमी और भक्तों, या दिव्य लोगों के बीच का अंतर है । बाहरी रूप से यह देखा जाता है कि एक भक्त पर अत्याचार किया जा रहा है, लेकिन उसे यातनाएं नहीं होती है ।|Vanisource:680629 - Lecture Excerpt - Montreal|680629 - प्रवचन अंश - मॉन्ट्रियल}}

Latest revision as of 16:52, 29 May 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
भक्त कर्म के अधीन नहीं हैं । ब्रह्म-संहिता में यह कहा गया है, कर्माणि निर्दहति किन्तु च भक्ति भाजां (ब्र.सं. ५.५४) । प्रह्लाद महाराज पर उनके पिता ने इतने तरीकों से अत्याचार किया था, लेकिन वे प्रभावित नहीं हुए । वे प्रभावित नहीं हुए । बाहरी तौर पर... ईसाई बाइबिल में भी उसी तरह, जैसे कि प्रभु यीशु मसीह पर अत्याचार किया गया था, लेकिन वे प्रभावित नहीं हुए थे । यह साधारण आदमी और भक्तों, या दिव्य लोगों के बीच का अंतर है । बाहरी रूप से यह देखा जाता है कि एक भक्त पर अत्याचार किया जा रहा है, लेकिन उसे यातनाएं नहीं होती है ।
680629 - प्रवचन अंश - मॉन्ट्रियल