HI/680722 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हमारी प्रस्तुति यह है कि स्त्री और पुरुष के बीच का यह संवैधानिक प्रेम अप्राकृतिक नहीं है । यह बिल्कुल स्वाभाविक है, क्योंकि यह परम सत्य में है, जैसा कि हम वैदिक वर्णन से पाते हैं, कि परम सत्य, परम भगवान्, युगल प्रेम में प्रवृत्त है, राधा कृष्ण । लेकिन वही राधा कृष्ण के प्रेम ने पदार्थ के माध्यम से प्रवेश किया है । इसलिए यह विकृत प्रतिबिंब है । यहाँ इस भौतिक दुनिया में, तथाकथित प्रेम वास्तविक प्रेम नहीं है; यह वासना है । यहाँ पुरुष और महिला प्रेम से नहीं बल्कि वासना से आकर्षित होते हैं । तो इस कृष्ण भावनामृत समाज में, हम परम सत्य से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वासना प्रवृत्ति को शुद्ध प्रेम में बदलना होगा । यही प्रस्ताव है ।
680722 - प्रवचन परमानंद और सत्यभामा विवाह - मॉन्ट्रियल