HI/680815 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:50, 8 June 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो हर कोई पीड़ित है । अस्तित्व के लिए संघर्ष का मतलब दुख की स्थिति है । और ये संत व्यक्ति, कृष्ण के भक्त - न केवल कृष्ण के भक्त, भगवान के कोई भी भक्त - उनका कार्य यह देखना है कि लोग कैसे सुखी बनें । लोकानाम हित-कारिणौ (षड गोस्वामी अष्टकम) । इसलिए, त्रि-भुवने मान्यौ: भक्तों की पूजा की जाती है, न केवल इस ग्रह में बल्कि अन्य ग्रहों में भी, जहा भी वे जाए । |
680815 - दीक्षा प्रवचन - मॉन्ट्रियल |