HI/680818c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 16:19, 9 June 2019

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप हिंदू हैं या मुस्लिम हैं या ईसाई हैं या कोई भी । यह मायने नहीं रखता । लेकिन आपको पता होना चाहिए कि इस ब्रह्मांड का एक सर्वोच्च नियंत्रक है । आप इसे कैसे नकार सकते हैं ? इसलिए चैतन्य महाप्रभु द्वारा इस शब्द का प्रयोग बहुत अच्छी तरह से किया गया है: जगदीश । जय जगदीश हरे । यह सार्वभौमिक है । अब अगर आप सोचते हैं कि "मेरे पिता जगदीश हैं," यह आपका विश्वास है, लेकिन जगदीश का अर्थ है सर्वोच्च - जिसका कोई नियंत्रक नहीं है । हर कोई व्यक्ति नियंत्रित है । जैसे ही आप देखते हैं कि कोई व्यक्ति नियंत्रित है, वह सर्वोच्च नहीं हो सकता ।
680818 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.१२ - मॉन्ट्रियल