HI/680824c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680824BG-MONTREAL_ND_03.mp3</mp3player>|"सबसे पहले, कृष्ण के भक्त बनने की कोशिश करें। फिर समझने की कोशिश करें कि भगवद गीता क्या है - आपकी विद्वता से या आपकी अटकलों से नहीं। फिर आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे। यदि आपको भगवद गीता को समझना है, फिर आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया को समझना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक अटकलों से। समझने की प्रक्रिया यह है। भक्तोऽसि मे सखा चेति ([[Vanisource:BG 4.3|BG 4.3]])। भक्त का अर्थ है ... भक्त कौन है? भक्त का अर्थ है, जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंधों को पुनर्जीवित किया है।”|Vanisource:680824 - Lecture BG 04.01 - Montreal|680824 - प्रवचन BG 04.01 - मॉन्ट्रियल}}
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Latest revision as of 03:48, 21 June 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
सर्वप्रथम, कृष्ण का भक्त बनने का प्रयास करें। तत्पश्चात यह समझने का प्रयास करें कि भगवद गीता क्या है - परंतु आपकी विद्वता या मानसिक कल्पना से नहीं। तब आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे। यदि आपको भगवद गीता को समझना है तो आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया का अनुसरण करना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक कल्पना के अनुसरण। समझने की वह प्रक्रिया क्या है? भक्तोसि मे सखा चेति (भ.गी. ४.३)। भक्त का क्या अर्थ है? भक्त कौन है? भक्त वह है जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंध को पुनर्जीवित किया है।
680824 - प्रवचन भ.गी. ४.१. - मॉन्ट्रियल