HI/680912b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो एक रोगग्रस्त व्यक्ति, वह चिकित्सक के पास गया। वह एक पुरानी बीमारी से पीड़ित है। वह इसका कारण जानता है। डॉक्टर कहता है कि, "आपने ऐसा किया है; इसलिए आप पीड़ित हैं।" लेकिन इलाज के बाद वह फिर से वही काम करता है। क्यों? यही असली समस्या है। वह ऐसा क्यों करता है? उसने देखा है, उसने अनुभव किया है। इसलिए परिक्षित महाराज कहते हैं, क्वाचिन् निवर्तते 'भद्रात्। इस तरह के अनुभव से, सुनने और देखने से, कभी-कभी वह मना कर देता है, "नहीं, मैं ये काम नहीं करूंगा। यह बहुत कष्टदायक है। पिछली बार मुझे इतनी परेशानी हुई थी।" और क्वाचिच् चरति तत् पुन: और कभी-कभी वह फिर से वही गलती करता है।
680912 - प्रवचन SB 06.01.06-15 - सैन फ्रांसिस्को