HI/680924 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680924IV-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>|इस भगवद गीता को मानव समाज द्वारा न केवल भारत में, बल्कि भारत के बाहर भी, बहुत लंबे, लंबे समय से पढ़ा जा रहा है । लेकिन दुर्भाग्य से, चूंकि भौतिक संदूषण के संपर्क से सब कुछ बिगड़ गया है, इसलिए लोगों ने भगवद गीता की अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करना शुरू कर दिया । इसलिए लगभग पांच सौ साल पहले, भगवान चैतन्य प्रकट हुए, और उन्होंने बंगाल में अपने व्यक्तिगत मार्गदर्शन में कृष्ण भावनामृत आंदोलन शुरू किया । उनका जन्मस्थान नवद्वीप है । अब, उन्होंने प्रत्येक भारतीय को पूरी दुनिया में, हर गाँव, हर कस्बे में, कृष्ण भावनामृत के इस संदेश को फैलाने का आदेश दिया । यही उनका आदेश था ।|Vanisource:680924 - Recorded Interview - Seattle|680924 - दर्ज़ किया गया इंटरव्यू - सिएटल}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680924IV-SEATTLE_ND_01.mp3</mp3player>|भगवद्गीता को मानव समाज द्वारा न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में लंबे समय से पढ़ा जा रहा है। किंतु दुर्भाग्य से, चूंकि भौतिक संदूषण के संपर्क से सब कुछ बिगड़ गया है, इसलिए लोगों नें भगवद्गीता की अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करनी प्रारंभ कर दी। इसलिए लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व, भगवान चैतन्य प्रकट हुए, और उन्होंने बंगाल में अपने व्यक्तिगत मार्गदर्शन में कृष्ण भावनामृत आंदोलन शुरू किया। उनका जन्मस्थान नवद्वीप है। उन्होंने प्रत्येक भारतीय को समूचे विश्व के प्रत्येक गाँव एवं कस्बे में, कृष्ण भावनामृत के इस संदेश को फैलाने का आदेश दिया। यह ही उनका आदेश था।|Vanisource:680924 - Recorded Interview - Seattle|680924 - दर्ज़ किया गया इंटरव्यू - सिएटल}}

Latest revision as of 06:56, 28 June 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
भगवद्गीता को मानव समाज द्वारा न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में लंबे समय से पढ़ा जा रहा है। किंतु दुर्भाग्य से, चूंकि भौतिक संदूषण के संपर्क से सब कुछ बिगड़ गया है, इसलिए लोगों नें भगवद्गीता की अलग-अलग तरीकों से व्याख्या करनी प्रारंभ कर दी। इसलिए लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व, भगवान चैतन्य प्रकट हुए, और उन्होंने बंगाल में अपने व्यक्तिगत मार्गदर्शन में कृष्ण भावनामृत आंदोलन शुरू किया। उनका जन्मस्थान नवद्वीप है। उन्होंने प्रत्येक भारतीय को समूचे विश्व के प्रत्येक गाँव एवं कस्बे में, कृष्ण भावनामृत के इस संदेश को फैलाने का आदेश दिया। यह ही उनका आदेश था।
680924 - दर्ज़ किया गया इंटरव्यू - सिएटल