HI/680930 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
हमारा कार्य प्रेम और भक्ति के साथ गोविंद, मूल पुरुष, की आराधना करना है। गोविंदम आदि-पुरूषं। यह कृष्ण भावनामृत है। हम लोगों को कृष्ण से प्रेम करना सिखा रहे है, बस। हमारा कार्य प्रेम करना है, और अपने प्रेम को उचित स्थान पर रखना है। यही हमारा कार्य है। हर कोई प्रेम करना चाहता है, लेकिन वह निराश हो रहा है क्योंकि वो अपने प्रेम को उचित स्थान पर नहीं लगा रहा है। लोग इसे नहीं समझते। उन्हे यह सिखाया जा रहा है कि, 'सबसे पहले तुम अपने शरीर से प्रेम करो'। फिर थोड़ा विस्तारित मे, 'तुम अपने पिता और माता को प्रेम करो।' फिर 'अपने भाई और बहन से प्रेम करो'। फिर ‘अपने समाज को प्रेम करो, अपने देश को प्रेम करो, पूरे मानव समाज से प्रेम करो, मानवता से'। लेकिन यह सब विस्तारित प्रेम, तथाकथित प्रेम, आपको संतुष्टि नहीं देंगे जब तक आप कृष्ण को प्रेम करने के इस बिंदु तक नहीं पहुंचते। तब ही आप संतुष्ट होंगे।
680930 - प्रवचन - सिएटल