HI/681023 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो परिवार और बच्चों के साथ बने रहना जीवन की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कोई अयोग्यता नहीं है । यह एक अयोग्यता नहीं है, क्योंकि आखिरकार, व्यक्ति अपने पिता और माता से ही अपना जन्म लेना पड़ता है । सभी महान आचार्य, महान आध्यात्मिक नेता, आखिरकार, वे पिता और माता से आए हैं । इसलिये पिता और माता के संयोजन के बिना, एक महान आत्मा के इस दुनिया में आने की कोई संभावना नहीं है । महान आत्माओं के कई उदाहरण हैं, जैसे कि शंकराचार्य, प्रभु यीशु मसीह, रामानुजाचार्य । इनके पास कोई बहुत उच्च वंशानुगत शीर्षक नहीं था, फिर भी, वे गृहस्थ पिता और माता से आये । अतः गृहस्थ, या गृहस्थ जीवन, अयोग्यता नहीं है ।
681023 - प्रवचन श्री.भा. २.१.२-५ - मॉन्ट्रियल