HI/681108b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 01:16, 9 February 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब कृष्ण इस ब्रह्माण्ड में आते हैं, उनका गोलोक वृन्दावन भी उनके साथ आता है। ठीक जैसे जब राजा कहीं जाता है, उसके सभी अधिकारी, उसका मंत्री, उसका सेनापति, उसका यह, वह- हर कोई उसके साथ जाता है। उसी प्रकार जब कृष्ण इस ग्रह पर आते हैं, उनका सारा साज सामान, परिचारक समूह, सभी आते हैं हमको दिखलाने, आकर्षित करने, कि " तुम (भी) इसके पीछे लगे हो। तुम (भी) प्रेम चाहते हो।" यहाँ तुम देखो वृन्दावन में कैसे सब प्रेम के ऊपर आधारित है। और कुछ भी नहीं है। वे नहीं जानते कि कृष्ण परम पुरुषोत्तम भगवान हैं। वे (इसे) जानने कि परवाह नहीं करते। किन्तु कृष्ण के प्रति उनका स्वाभाविक स्नेह और प्रेम इतना प्रबल है कि वे कृष्ण के अतिरिक्त और कुछ सोच नहीं सकते चौबीस घंटे। वही कृष्ण भावनामृत है।"
681108 - प्रवचन BS 5.29 - लॉस एंजेलेस