HI/681118b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 00:22, 13 February 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
तो हर मानव समाज में इस तरह की जांच-पड़ताल होती है और कुछ उत्तर भी होते हैं। अतः इस ज्ञान, कृष्णभावनामृत, या ईश्वर चेतना की विकसित करना आवश्यक है। यदि हम यह पूछताछ नहीं करते हैं, यदि हम पशुत्व में संलग्न हैं। ... क्योंकि यह भौतिक शरीर पशु शरीर है, लेकिन चेतना विकसित होती है। जानवरों के शरीर में या जानवरों से नीचे- जैसे पेड़ और पौधे, वे भी जीवात्मा हैं - चेतना विकसित नहीं है। यदि आप एक पेड़ काटते हैं, क्योंकि चेतना विकसित नहीं है, यह विरोध नहीं करता है। लेकिन वह दर्द महसूस करता है।
Lecture Festival Sri Sri Sad-govamy-astaka - - लॉस एंजेलेस