HI/681127 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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'''<big>[[Vanisource:680218 - Letter to Mukunda written from Los Angeles|Original Vanisource page in English]]</big>'''
'''<big>[[Vanisource:681127 - Letter to Gopala Krishna written from Los Angeles|Original Vanisource page in English]]</big>'''
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{{LetterScan|680218_-_Letter_to_Mukunda.JPG|Letter to Mukunda}}
{{RandomImage}}


त्रिदंडी गोस्वामी <br/>
27 नवंबर, 1968


ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी<br/>
 
आचार्य:अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ<br/>
मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,
 
मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा 20 नवम्बर का पत्र और उसके साथ पुलोवर स्वैटर की प्रेमपूर्ण भेंट प्राप्त हुई है। मैं इस भेंट के लिए तुम्हारा बहुत आभारी हूँ, क्योंकि आजकल लॉस एंजेलेस का वातावरण थोड़ा ठंडा है और मुझे ऐसे ही स्वैटर की आवश्यकता थी। साथ ही सत्यभामा को इसे चनने के लिए मेरा धन्यवाद देना। मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम भगवान कृष्ण का ध्यान करने में समय लगा रहे हो और तुम से आग्रह करना चाहुंगा कि तुम हरे कृष्ण जपते रहो ताकि निस्संदेह कृष्ण तुम पर सब कृपा करेंगे।
 
मैं पुनः तुम्हारे सुन्दर मनोभावों और विचारशीलता के लिए धन्यवाद करता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि तुम ठीक हो और भगवान कृष्ण की सेवा में प्रगति करते रहो।
 
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी <br/>
 
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी<br/>
 
अनुलेख कृपया वहां के सदस्यों के सहयोग से मंदिर की स्थिति को सुधारने का प्रयास करें। एसीबी

Latest revision as of 08:51, 23 April 2022

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


27 नवंबर, 1968


मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,

मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे तुम्हारा 20 नवम्बर का पत्र और उसके साथ पुलोवर स्वैटर की प्रेमपूर्ण भेंट प्राप्त हुई है। मैं इस भेंट के लिए तुम्हारा बहुत आभारी हूँ, क्योंकि आजकल लॉस एंजेलेस का वातावरण थोड़ा ठंडा है और मुझे ऐसे ही स्वैटर की आवश्यकता थी। साथ ही सत्यभामा को इसे चनने के लिए मेरा धन्यवाद देना। मैं यह जानकर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम भगवान कृष्ण का ध्यान करने में समय लगा रहे हो और तुम से आग्रह करना चाहुंगा कि तुम हरे कृष्ण जपते रहो ताकि निस्संदेह कृष्ण तुम पर सब कृपा करेंगे।

मैं पुनः तुम्हारे सुन्दर मनोभावों और विचारशीलता के लिए धन्यवाद करता हूँ। मैं आशा करता हूँ कि तुम ठीक हो और भगवान कृष्ण की सेवा में प्रगति करते रहो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

अनुलेख कृपया वहां के सदस्यों के सहयोग से मंदिर की स्थिति को सुधारने का प्रयास करें। एसीबी