HI/681202b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681202BG-LOS_ANGELES_ND_02.mp3</mp3player>|यदि आप किसी कठिन स्थिति में किसी मित्र के पास जाते हैं और आप अपने मित्र को समर्पण करते हैं, 'मेरे प्रिय मित्र, आप इतने महान, इतने शक्तिशाली, इतने प्रभावशाली हैं। मैं इस बड़े खतरे में हूं। इसलिए मैं आपके सामने आत्मसमर्पण करता हूं। आप कृपया मुझे सुरक्षा प्रदान करें ... 'तो आप कृष्ण को ऐसा कर सकते हैं। यहां भौतिक दुनिया में, यदि आप किसी व्यक्ति को आत्मसमर्पण करते हैं, हालांकि वह बहुत बड़ा हो सकता है, तो वह मना कर सकता है। वह कह सकता है, 'ठीक है, मैं तुम्हें सुरक्षा देने में असमर्थ हूं'.वह स्वाभाविक उत्तर है। यदि आप खतरे में हैं और यदि आप अपने अंतरंग मित्र के पास जाते हैं, तो 'कृपया मुझे सुरक्षा दें', वह संकोच करेगा, क्योंकि उसकी शक्ति बहुत सीमित है। वह सबसे पहले यह सोचेगा कि 'अगर मैं इस व्यक्ति को संरक्षण दूं, तो क्या मेरी रुचि खतरे में नहीं आएगी?' वह ऐसा सोचेंगे, क्योंकि उनकी शक्ति सीमित है। लेकिन कृष्ण इतना अच्छा है कि वह इतना शक्तिशाली है, वह बहुत बड़ा है ... वह भगवद गीता में सबको, सर्व-धर्म परित्यज्य मम इका सरनाम वरजा घोषित करता है ([[HI/BG 18.66|बग १८.६६]]):'तुम सब कुछ छोड़ कर चले जाते हो। आप बस मेरे पास आत्मसमर्पण करते हैं। " |Vanisource:681202 - Lecture BG 07.01 - Los Angeles|681202 - प्रवचनबग ०७.०१ - लॉस एंजेलेस}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681202BG-LOS_ANGELES_ND_02.mp3</mp3player>|यदि आप किसी कठिन स्थिति में किसी मित्र के पास जाते हैं और आप अपने मित्र को समर्पण करते हैं, 'मेरे प्रिय मित्र, आप इतने महान, इतने शक्तिशाली, इतने प्रभावशाली हैं। मैं इस बड़े खतरे में हूं। इसलिए मैं आपके सामने आत्मसमर्पण करता हूं। आप कृपया मुझे सुरक्षा प्रदान करें ...' तो आप कृष्ण को ऐसा कह सकते हैं। यहां भौतिक संसार में, यदि आप किसी व्यक्ति को आत्मसमर्पण करते हैं, हालांकि वह बहुत बड़ा हो सकता है, तो वह मना कर सकता है। वह कह सकता है, 'ठीक है, मैं तुम्हें सुरक्षा देने में असमर्थ हूं', वह स्वाभाविक उत्तर है। यदि आप खतरे में हैं और यदि आप अपने अंतरंग मित्र के पास जाते हैं, तो 'कृपया मुझे सुरक्षा दें', वह संकोच करेगा, क्योंकि उसकी शक्ति बहुत सीमित है। वह सबसे पहले यह सोचेगा कि 'यदि मैं इस व्यक्ति को संरक्षण दूं, तो क्या मेरी रुचि खतरे में नहीं आएगी?' वह ऐसा सोचेंगे, क्योंकि उनकी शक्ति सीमित है। परंतु कृष्ण इतने अच्छे हैं , वह इतने शक्तिशाली हैं, वह सर्व्यापी हैं ... वह भगवद गीता में सबको, “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज",  घोषित करते हैं।(भगवद्गीता १८.६६) "समस्त प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और मेरी शरण में आओ।" |Vanisource:681202 - Lecture BG 07.01 - Los Angeles|681202 - प्रवचनबग ०७.०१ - लॉस एंजेलेस}}

Latest revision as of 03:26, 18 July 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
यदि आप किसी कठिन स्थिति में किसी मित्र के पास जाते हैं और आप अपने मित्र को समर्पण करते हैं, 'मेरे प्रिय मित्र, आप इतने महान, इतने शक्तिशाली, इतने प्रभावशाली हैं। मैं इस बड़े खतरे में हूं। इसलिए मैं आपके सामने आत्मसमर्पण करता हूं। आप कृपया मुझे सुरक्षा प्रदान करें ...' तो आप कृष्ण को ऐसा कह सकते हैं। यहां भौतिक संसार में, यदि आप किसी व्यक्ति को आत्मसमर्पण करते हैं, हालांकि वह बहुत बड़ा हो सकता है, तो वह मना कर सकता है। वह कह सकता है, 'ठीक है, मैं तुम्हें सुरक्षा देने में असमर्थ हूं', वह स्वाभाविक उत्तर है। यदि आप खतरे में हैं और यदि आप अपने अंतरंग मित्र के पास जाते हैं, तो 'कृपया मुझे सुरक्षा दें', वह संकोच करेगा, क्योंकि उसकी शक्ति बहुत सीमित है। वह सबसे पहले यह सोचेगा कि 'यदि मैं इस व्यक्ति को संरक्षण दूं, तो क्या मेरी रुचि खतरे में नहीं आएगी?' वह ऐसा सोचेंगे, क्योंकि उनकी शक्ति सीमित है। परंतु कृष्ण इतने अच्छे हैं , वह इतने शक्तिशाली हैं, वह सर्व्यापी हैं ... वह भगवद गीता में सबको, “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज", घोषित करते हैं।(भगवद्गीता १८.६६) "समस्त प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और मेरी शरण में आओ।"
681202 - प्रवचनबग ०७.०१ - लॉस एंजेलेस