HI/681211 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681211BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो भगवत्ता कहती है, नैय्यत मातिस तवद उरुक्रमाग्रिम् ([[Vanisource:SB 7.5.32| सब ७.५.३२]).यदि कोई भी उसके लिए उरुकरामजी, या सर्वोच्च भगवान को समझता है, तो आत्मा के अस्तित्व को समझना बहुत मुश्किल नहीं है। ठीक उसी तरह जिसने सूर्य संसार को देखा है, उसके लिए यह समझना कि धूप क्या है, बहुत कठिन नहीं है। लेकिन जो सदा अंधेरे में रहता है, उसने न तो धूप देखी है और न ही सूर्य को देखा है, उसके लिए, प्रकाश क्या है, सूरज क्या है, यह समझना बहुत मुश्किल है."इसलिए देवत्व के सर्वोच्च व्यक्तित्व उरुकरामिग्रीम को नहीं समझा जा सकता है। और अगर यह समझ में आता है, स्पर्शात्य अर्था पगमो यद्-अर्थ.यदि कोई समझता है कि उरुकरामिग्रीम, भगवान महान है, तो तुरंत उसका सारा अज्ञान, भ्रम समाप्त हो जाता है।|Vanisource:681211 - Lecture BG 02.27-38 - Los Angeles|681211 - प्रवचन  सब ०२.२७-३८ - लॉस एंजेलेस}}
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Latest revision as of 00:02, 1 March 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो भगवत्ता कहती है, नैय्यत मातिस तवद उरुक्रमाग्रिम् (सब ७.५.३२).यदि कोई भी उसके लिए उरुकरामजी, या सर्वोच्च भगवान को समझता है, तो आत्मा के अस्तित्व को समझना बहुत मुश्किल नहीं है। ठीक उसी तरह जिसने सूर्य संसार को देखा है, उसके लिए यह समझना कि धूप क्या है, बहुत कठिन नहीं है। लेकिन जो सदा अंधेरे में रहता है, उसने न तो धूप देखी है और न ही सूर्य को देखा है, उसके लिए, प्रकाश क्या है, सूरज क्या है, यह समझना बहुत मुश्किल है."इसलिए देवत्व के सर्वोच्च व्यक्तित्व उरुकरामिग्रीम को नहीं समझा जा सकता है। और अगर यह समझ में आता है, स्पर्शात्य अर्था पगमो यद्-अर्थ.यदि कोई समझता है कि उरुकरामिग्रीम, भगवान महान है, तो तुरंत उसका सारा अज्ञान, भ्रम समाप्त हो जाता है।
681211 - प्रवचन सब ०२.२७-३८ - लॉस एंजेलेस