HI/681217 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681217IV-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो हमारी योजना है कि कई प्रारंभ (करें)..., जितनी शाखाएं संभव हो सकें इस कृष्ण भावना का प्रचार करने के लिए। और यह बहुत सरल है। हम सिर्फ लोगों को हमारे साथ आकर कीर्तन के लिए आमंत्रित करते हैं। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या है, उसकी क्या भाषा है, उसका क्या मज़हब है। हम इन सब चीज़ों की गणना नहीं करते। और यह हरे कृष्ण उच्चारण इतना आसान है कि कोई भी मनुष्य उच्चारण कर सकता है। यह हमने अनुभव किया है। विश्व के किसे भी हिस्से में हम हरे कृष्ण कीर्तन करते हैं, और वे (भी) बड़ी आसानी से अनुकरण और कीर्तन कर सकते हैं । बच्चे तक, वे भी। तो कीर्तन से, वह धीरे धीरे कृष्ण भावनाभावित हो जाता है। उसका हृदय स्वच्छ हो जाता है और वह समझ सकता है कि क्या है कृष्ण का विज्ञान, क्या है भगवान का विज्ञान। "|Vanisource:681217 - Interview - Los Angeles|681217 - Interview - लॉस एंजेलेस}} | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681217IV-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो हमारी योजना है कि कई प्रारंभ (करें)..., जितनी शाखाएं संभव हो सकें इस कृष्ण भावना का प्रचार करने के लिए। और यह बहुत सरल है। हम सिर्फ लोगों को हमारे साथ आकर कीर्तन के लिए आमंत्रित करते हैं। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या है, उसकी क्या भाषा है, उसका क्या मज़हब है। हम इन सब चीज़ों की गणना नहीं करते। और यह हरे कृष्ण उच्चारण इतना आसान है कि कोई भी मनुष्य उच्चारण कर सकता है। यह हमने अनुभव किया है। विश्व के किसे भी हिस्से में हम हरे कृष्ण कीर्तन करते हैं, और वे (भी) बड़ी आसानी से अनुकरण और कीर्तन कर सकते हैं । बच्चे तक, वे भी। तो कीर्तन से, वह धीरे धीरे कृष्ण भावनाभावित हो जाता है। उसका हृदय स्वच्छ हो जाता है और वह समझ सकता है कि क्या है कृष्ण का विज्ञान, क्या है भगवान का विज्ञान। "|Vanisource:681217 - Interview - Los Angeles|681217 - Interview - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 00:44, 9 March 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो हमारी योजना है कि कई प्रारंभ (करें)..., जितनी शाखाएं संभव हो सकें इस कृष्ण भावना का प्रचार करने के लिए। और यह बहुत सरल है। हम सिर्फ लोगों को हमारे साथ आकर कीर्तन के लिए आमंत्रित करते हैं। इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या है, उसकी क्या भाषा है, उसका क्या मज़हब है। हम इन सब चीज़ों की गणना नहीं करते। और यह हरे कृष्ण उच्चारण इतना आसान है कि कोई भी मनुष्य उच्चारण कर सकता है। यह हमने अनुभव किया है। विश्व के किसे भी हिस्से में हम हरे कृष्ण कीर्तन करते हैं, और वे (भी) बड़ी आसानी से अनुकरण और कीर्तन कर सकते हैं । बच्चे तक, वे भी। तो कीर्तन से, वह धीरे धीरे कृष्ण भावनाभावित हो जाता है। उसका हृदय स्वच्छ हो जाता है और वह समझ सकता है कि क्या है कृष्ण का विज्ञान, क्या है भगवान का विज्ञान। " |
681217 - Interview - लॉस एंजेलेस |