HI/681228 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६८ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681228IN-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो कृष्ण कहते हैं हमें सदैव याद रखना चाहिए कि हम कृष्ण भवानरत लोग हैं। जो कृष्ण कहते हैं उसे हम परम सत्य मानते हैं। इसलिए कृष्ण कहते हैं कि भले ही तुम उच्चतम लोक तक पहुंचने का प्रयत्न करो जो ब्रह्मलोक कहलाता है। वैदिक साहित्य के अनुसार बहुत सारे नक्षत्र निकाय हैं । | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/681227b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681227b|HI/681228b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|681228b}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/681228IN-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो कृष्ण कहते हैं हमें सदैव याद रखना चाहिए कि हम कृष्ण भवानरत लोग हैं। जो कृष्ण कहते हैं उसे हम परम सत्य मानते हैं। इसलिए, कृष्ण कहते हैं कि भले ही तुम उच्चतम लोक तक पहुंचने का प्रयत्न करो जो ब्रह्मलोक कहलाता है। वैदिक साहित्य के अनुसार बहुत सारे नक्षत्र निकाय हैं । जिस नक्षत्र निकाय में हम हैं अभी, यह भूर-लोक कहलाता है। उस नक्षत्र निकाय के ऊपर भुवर-लोक है। उसके ऊपर स्वर्गलोक है । यह चन्द्रमा स्वर्गलोक नक्षत्र निकाय का है। स्वर्गलोक के ऊपर जनलोक है। फिर उसके ऊपर महर्लोक, उसके ऊपर सत्यलोक है।"|Vanisource:681228 - Lecture Initiation - Los Angeles|681228 - प्रवचन Initiation - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 23:03, 31 March 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तो कृष्ण कहते हैं हमें सदैव याद रखना चाहिए कि हम कृष्ण भवानरत लोग हैं। जो कृष्ण कहते हैं उसे हम परम सत्य मानते हैं। इसलिए, कृष्ण कहते हैं कि भले ही तुम उच्चतम लोक तक पहुंचने का प्रयत्न करो जो ब्रह्मलोक कहलाता है। वैदिक साहित्य के अनुसार बहुत सारे नक्षत्र निकाय हैं । जिस नक्षत्र निकाय में हम हैं अभी, यह भूर-लोक कहलाता है। उस नक्षत्र निकाय के ऊपर भुवर-लोक है। उसके ऊपर स्वर्गलोक है । यह चन्द्रमा स्वर्गलोक नक्षत्र निकाय का है। स्वर्गलोक के ऊपर जनलोक है। फिर उसके ऊपर महर्लोक, उसके ऊपर सत्यलोक है।" |
681228 - प्रवचन Initiation - लॉस एंजेलेस |