HI/690109 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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अगर तुम क्लब में नाचते रहोगे और क्लब में खाओगे तो धीरे-धीरे शारीरिक रूप से रोग ग्रस्त हो जाओगे। और वही नाचना और खाना तुम्हें आध्यात्मिक रूप से उन्नति देगा।
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कुछ भी रोकने की जरूरत नहीं है। बस इसे एक विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा इसकी दिशा बदलनी होगी। बस इतना ही। विशेषज्ञ चिकित्सक आपको कुछ दवाओं के साथ दही मिलाकर देता है। असल में दवा बस रोगी को धोखा देने के लिए होती है। दरअसल दही काम करता है। उसी तरह से हमें सब कुछ करना होगा पर क्योंकि यह कृष्ण चेतना की दवाई के साथ मिला हुआ है, यह तुम्हारा भौतिक रोग का इलाज करेगा। यही प्रक्रिया है।"|Vanisource:690109 - Lecture BG 04.19-25 - Los Angeles|690109 - Lecture BG 04.19-25 - Los Angeles}}

Latest revision as of 23:06, 16 April 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
बाहर वाले कहेंगे, "यह कृष्ण भावनामृत क्या है ? यह लोग अच्छे से घर में रहते हैं और अच्छा खाते हैं, नाचते है, गाते हैं । इसमें अंतर क्या है ? हम भी वह चीज करते हैं । हम भी क्लब जाते हैं और अच्छा खाते हैं और नाचते भी है । अंतर क्या है ? इसमें अंतर है । और वह अंतर क्या है ? एक दूध का पदार्थ विकार का कारण बनता है, और दूसरे दूध का पदार्थ इलाज का कारण । यह व्यवहारिक है । दूसरे दूध का पदार्थ आपका इलॉज करता है । अगर तुम क्लब में नाचते रहोगे और क्लब में खाओगे तो धीरे-धीरे शारीरिक रूप से रोग ग्रस्त हो जाओगे । और वही यहाँ पर नाचना और खाना तुम्हें आध्यात्मिक रूप से उन्नति देगा । कुछ भी रोकने की जरूरत नहीं है । बस इसकी एक विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा दिशा बदलनी होगी । बस इतना ही । विशेषज्ञ चिकित्सक आपको कुछ दवाओं के साथ दही मिलाकर देता है । असल में दवा बस रोगी को झांसा देने के लिए होती है । दरअसल दही काम करता है । उसी तरह से हमें सब कुछ करना होगा पर क्योंकि यह कृष्ण भावनामृत की दवाई के साथ मिला हुआ है, यह तुम्हारे भौतिक रोग का इलाज करेगा । यही प्रक्रिया है ।
690109 - प्रवचन भ.गी. ४.१९-२५ - लॉस एंजेलेस