HI/690109c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
ये मूर्ख व्यक्ति जो सोच रहे हैं कि 'मैं ब्रह्म-ज्योति में विलीन हो जाऊँगा', वे कम बुद्धिमान हैं, क्योंकि वे वहाँ नहीं रह सकते। उसकी इच्छाएँ हैं। तब तक आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कोई सुविधा नहीं है जब तक आप कृष्ण के पास नहीं चले

जाते। इसलिए इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह फिर से इस भौतिक सेसार में आता है। क्योंकि वह गतिविधियों, आनंद चाहता है। आनंद-मयो 'भ्यासात् (वेदांत-सूत्र 1.1.12)। आत्मा और परमात्मा स्वभाव से आनंदमय है। जब भी हर्षोल्लास का प्रश्व उठता है विविधताओं का होना आवश्यक है। इसलिए कोई विविधता नहीं है। इसलिए विविधताओं के बिना वह बहुत लंबे समय तक वे वहाँ नहीं रह सकता है। उसे आना पड़ता है। लेकिन क्योंकि उसे आध्यात्मिक विविधताओं की कोई जानकारी नहीं है, वह इस भौतिक विविधता में वापस आने के लिए बाध्य होता है। केवल इतना ही।

690109 - प्रवचन BG 04.19-25 - लॉस एंजेलेस