HI/690110 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो वास्तव में, हममें से हर एक, अपने आध्यात्मिक उद्धार की उपेक्षा करके, हम भौतिक इन्द्रिय तृप्ति में संलग्न हैं, और इसलिए हम स्वयं को आध्यात्मिक धरातल पर उठाने के इस मनुष्य रूप शरीर में (सुलभ) सुयोग को गवां रहे हैं। यह मानव शरीर बद्ध जीव को विशेषतः आध्यात्मिक उद्धार का अवसर लेने के लिए प्रदान करा जाता है। तो जो भी आध्यात्मिक उद्धार की परवाह नहीं करता, वह आध्यात्मिक मृत्यु को निमत्रण दे रहा है। आध्यात्मिक मृत्यु मायने स्वयं भूल जाना कि वह आत्मा है। वही आध्यात्मिक मृत्यु है।"
690110 - Bhajan and Purport to Gaura Pahu - लॉस एंजेलेस