HI/690116 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६९ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next)) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | ||
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | |||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690115|HI/690116b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690116b}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690116PU-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"किसी को इन्द्रिय भोग छोड़ देना चाहिए। बेशक, इस भौतिकवादी जीवन में हमें अपनी इंद्रियां मिल गई हैं और हम उनका उपयोग करने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। हम इसे रोक नहीं सकते। लेकिन इसे रोकने का कोई सवाल नहीं है, लेकिन इसे विनियमित करना है। जैसे हम खाना चाहते है। विषय का अर्थ है खाना, सोना, संभोग करना और बचाव करना। इसलिए इन चीजों को पूरी तरह से निषिद्ध नहीं किया जाता है, लेकिन ये सिर्फ मेरी कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए और अनुकूल बनाने के लिए समायोजित किए जाते हैं। इसलिए हमें नहीं लेना चाहिए ... बस खाने की तरह। केवल स्वाद को संतुष्ट करने के लिए भोजन नहीं करना चाहिए। हमें केवल कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए खुद को फिट रखने के लिए भोजन करना चाहिए। इसलिए भोजन करना बंद नहीं किया जाता है, लेकिन इसे अनुकूल तरीके से नियंत्रित किया जाता है। इसी तरह, संभोग भी नहीं रोका जाता है। लेकिन नियामक सिद्धांत यह है कि आपको शादी कर लेनी चाहिए और केवल बच्चों को जन्म देने के लिए सम्भोग करना चाहिए। अन्यथा ऐसा न करें।"|Vanisource:690116 - Bhajan and Purport to Parama Koruna - Los Angeles|690116 - परम करुना भजन पर व्याख्या - लॉस एंजेलेस}} | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690116PU-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"किसी को इन्द्रिय भोग छोड़ देना चाहिए। बेशक, इस भौतिकवादी जीवन में हमें अपनी इंद्रियां मिल गई हैं और हम उनका उपयोग करने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। हम इसे रोक नहीं सकते। लेकिन इसे रोकने का कोई सवाल नहीं है, लेकिन इसे विनियमित करना है। जैसे हम खाना चाहते है। विषय का अर्थ है खाना, सोना, संभोग करना और बचाव करना। इसलिए इन चीजों को पूरी तरह से निषिद्ध नहीं किया जाता है, लेकिन ये सिर्फ मेरी कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए और अनुकूल बनाने के लिए समायोजित किए जाते हैं। इसलिए हमें नहीं लेना चाहिए ... बस खाने की तरह। केवल स्वाद को संतुष्ट करने के लिए भोजन नहीं करना चाहिए। हमें केवल कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए खुद को फिट रखने के लिए भोजन करना चाहिए। इसलिए भोजन करना बंद नहीं किया जाता है, लेकिन इसे अनुकूल तरीके से नियंत्रित किया जाता है। इसी तरह, संभोग भी नहीं रोका जाता है। लेकिन नियामक सिद्धांत यह है कि आपको शादी कर लेनी चाहिए और केवल बच्चों को जन्म देने के लिए सम्भोग करना चाहिए। अन्यथा ऐसा न करें।"|Vanisource:690116 - Bhajan and Purport to Parama Koruna - Los Angeles|690116 - परम करुना भजन पर व्याख्या - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 23:11, 30 April 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"किसी को इन्द्रिय भोग छोड़ देना चाहिए। बेशक, इस भौतिकवादी जीवन में हमें अपनी इंद्रियां मिल गई हैं और हम उनका उपयोग करने के लिए अभ्यास कर रहे हैं। हम इसे रोक नहीं सकते। लेकिन इसे रोकने का कोई सवाल नहीं है, लेकिन इसे विनियमित करना है। जैसे हम खाना चाहते है। विषय का अर्थ है खाना, सोना, संभोग करना और बचाव करना। इसलिए इन चीजों को पूरी तरह से निषिद्ध नहीं किया जाता है, लेकिन ये सिर्फ मेरी कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए और अनुकूल बनाने के लिए समायोजित किए जाते हैं। इसलिए हमें नहीं लेना चाहिए ... बस खाने की तरह। केवल स्वाद को संतुष्ट करने के लिए भोजन नहीं करना चाहिए। हमें केवल कृष्ण चेतना को क्रियान्वित करने के लिए खुद को फिट रखने के लिए भोजन करना चाहिए। इसलिए भोजन करना बंद नहीं किया जाता है, लेकिन इसे अनुकूल तरीके से नियंत्रित किया जाता है। इसी तरह, संभोग भी नहीं रोका जाता है। लेकिन नियामक सिद्धांत यह है कि आपको शादी कर लेनी चाहिए और केवल बच्चों को जन्म देने के लिए सम्भोग करना चाहिए। अन्यथा ऐसा न करें।" |
690116 - परम करुना भजन पर व्याख्या - लॉस एंजेलेस |