HI/690120 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690120SB-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"सबसे पहले, भगवान की अवधारणा क्या है? भगवान का मतलब है "भगवान महान है"। कोई भी उनसे बड़ा नहीं है, और कोई भी उनके बराबर नहीं है। "वे ईश्वर है। असमा-उर्ध्व । सटीक संस्कृत शब्द असमा-उर्ध्व है। असमा का अर्थ है "समान नहीं", कोई भी ईश्वर के बराबर नहीं हो सकता। यह महान आचार्यों द्वारा विश्लेषण किया जाता है। उन्होंने ईश्वर की विशेषताओं का विश्लेषण किया है। उन्होंने विशेषता बताई है कि वे चौंसठ गुणों से संपन्न हैं। और उन चौंसठ में से, हमारे पास, हमारे पास केवल पचास गुण हैं। और वह भी बहुत कम मात्रा में है। भगवान के पचास गुण हमें मिले हैं, लेकिन यह बहुत ..., कम मात्रा में है।"|Vanisource:690120 - Lecture SB 05.05.01 - Los Angeles|690120 - प्रवचन श्रीमद भागवतम ०५.०५.०१ - लॉस एंजेलेस}}
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Latest revision as of 03:21, 9 August 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भगवान की अवधारणा क्या है? इसका अर्थ है "भगवान महान हैं"। कोई भी उनसे बड़ा नहीं है, और कोई भी उनके बराबर नहीं है। "वे ईश्वर है"। असमा-उर्ध्व । सटीक संस्कृत शब्द असमा-उर्ध्व है। असमा का अर्थ है "समान नहीं", कोई भी ईश्वर के बराबर नहीं हो सकता। यह महान आचार्यों द्वारा विश्लेषण किया जाता है। उन्होंने ईश्वर की विशेषताओं का विश्लेषण किया है। उन्होंने विशेषता बताई है कि वे चौंसठ गुणों से संपन्न हैं। और उन चौंसठ में से, हमारे पास, हमारे पास केवल पचास गुण हैं। और वह भी बहुत सीमित मात्रा में। भगवान के पचास गुण हमें मिले हैं, लेकिन यह बहुत ..., कम मात्रा में है।"
690120 - प्रवचन श्रीमद भागवतम ०५.०५.०१ - लॉस एंजेलेस