HI/690120c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690120SB-LOS_ANGELES_ND_03.mp3</mp3player>|"हर जीवित प्राणी आनंद लेने के लिए फिट है, क्योंकि वह भगवान का हिस्सा है। क्योंकि वह भगवान का भाग है, वह भी भोक्ता है, हालांकि छोटी मात्रा में। लेकिन वह भगवान के साथ मिलकर आनंद ले सकता है। ईश्वर की संगति में प्रवेश करने के लिए उसे स्वयं को शुद्ध करना है। यस्माद ब्रह्म-सौ ... ब्रह्म, ब्रह्म-सौख्यम। ब्रह्म का अर्थ है, असीमित या आध्यात्मिक। आध्यात्मिक का अर्थ है असीमित, असमान, शाश्वत- सबसे बड़ा। ये ब्रह्म के कुछ अर्थ हैं। तो आप आनंद की खोज कर रहे हैं; यह आपका विशेषाधिकार है। यह आपका अधिकार है। आपको होना चाहिए। लेकिन आप इस आनंद को स्वार्थपूर्ण इन्द्रिय तृप्ति में खोज रहे है, इसीलिए इसे आप कभी प्राप्त नहीं करेंगे। यदि आप इस अस्तित्व को शुद्ध करते हैं, तो आपको असीमित लाभ मिलेगा। आपके आध्यात्मिक अस्तित्व में आनंद।”|Vanisource:690120 - Lecture SB 05.05.01 - Los Angeles|690120 - प्रवचन श्रीमद भागवतम ०५.०५.०१ - लॉस एंजेलेस}}
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Latest revision as of 23:33, 4 May 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हर जीवित प्राणी आनंद लेने के लिए फिट है, क्योंकि वह भगवान का हिस्सा है। क्योंकि वह भगवान का भाग है, वह भी भोक्ता है, हालांकि छोटी मात्रा में। लेकिन वह भगवान के साथ मिलकर आनंद ले सकता है। ईश्वर की संगति में प्रवेश करने के लिए उसे स्वयं को शुद्ध करना है। यस्माद ब्रह्म-सौ ... ब्रह्म, ब्रह्म-सौख्यम। ब्रह्म का अर्थ है, असीमित या आध्यात्मिक। आध्यात्मिक का अर्थ है असीमित, असमान, शाश्वत- सबसे बड़ा। ये ब्रह्म के कुछ अर्थ हैं। तो आप आनंद की खोज कर रहे हैं; यह आपका विशेषाधिकार है। यह आपका अधिकार है। आपको होना चाहिए। लेकिन आप इस आनंद को स्वार्थपूर्ण इन्द्रिय तृप्ति में खोज रहे है, इसीलिए इसे आप कभी प्राप्त नहीं करेंगे। यदि आप इस अस्तित्व को शुद्ध करते हैं, तो आपको असीमित लाभ मिलेगा। आपके आध्यात्मिक अस्तित्व में आनंद।”
690120 - प्रवचन श्रीमद भागवतम ०५.०५.०१ - लॉस एंजेलेस