HI/690212b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690212BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"तो पहली चीज़ है कि मान लो कोई मेरे बारे में बहुत कठोरता से बोलता है। स्वाभाविक रूप से हम नाराज़ हो जाते हैं। ठीक जैसे कोई मुझे पुकारे,  "तुम श्वान हो": या "तुम शूकर हो"। किन्तु यदि मैं आत्मसाक्षातकार सिद्ध हूँ, यदि मैं भली प्रकार जनता हूँ कि मैं यह शरीर नहीं हूँ, तो तुम मुझे शूकर बोलो, श्वान या राजा, सम्राट, महामहिम, वह क्या है? मैं यह शरीर नहीं हूँ। तो चाहे तुम मुझे "महामहिम" बोलो या तुम मुझे    
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श्वान या शूकर बोलो, मुझे (इससे) क्या लेना है? मैं न तो महाममहिम हूँ न ही एक श्वान न ही एक शूकर -- इस किस्म का कुछ भी नहीं। मैं कृष्ण का सेवक हूँ।"|Vanisource:690212 - Lecture BG 05.26-29 - Los Angeles|690212 - प्रवचन BG 05.26-29 - लॉस एंजेलेस}}
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Revision as of 23:54, 4 May 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो पहली चीज़ है कि मान लो कोई मेरे बारे में बहुत कठोरता से बोलता है। स्वाभाविक रूप से हम नाराज़ हो जाते हैं। ठीक जैसे कोई मुझे पुकारे, "तुम श्वान हो": या "तुम शूकर हो"। किन्तु यदि मैं आत्मसाक्षातकार सिद्ध हूँ, यदि मैं भली प्रकार जनता हूँ कि मैं यह शरीर नहीं हूँ, तो तुम मुझे शूकर बोलो, श्वान या राजा, सम्राट, महामहिम, वह क्या है? मैं यह शरीर नहीं हूँ। तो चाहे तुम मुझे "महामहिम" बोलो या तुम मुझे श्वान या शूकर बोलो, मुझे (इससे) क्या लेना है? मैं न तो महाममहिम हूँ न ही एक श्वान न ही एक शूकर - इस किस्म का कुछ भी नहीं। मैं कृष्ण का सेवक हूँ।"
690212 - प्रवचन BG 05.26-29 - लॉस एंजेलेस