HI/690213 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next)) |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690212c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690212c|HI/690214 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690214}} | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690212c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690212c|HI/690214 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690214}} | ||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | <!-- END NAVIGATION BAR --> | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690213BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि एक आनंद का सागर है, स्वाद का सागर है, पारलौकिक आनंद का सागर है, जो बढ़ता जा रहा है। आनंदमबुधि वर्धनम प्रति पदम् पुर्नामृत आस्वादनम सर्वात्मा स्नपनं परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम (शिक्षाष्टकम १, चैतन्य चरितामृत अन्त्य लीला २०.१२) आप | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690213BG-LOS_ANGELES_ND_01.mp3</mp3player>|"चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि एक आनंद का सागर है, स्वाद का सागर है, पारलौकिक आनंद का सागर है, जो बढ़ता जा रहा है। आनंदमबुधि वर्धनम प्रति पदम् पुर्नामृत आस्वादनम सर्वात्मा स्नपनं परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम (शिक्षाष्टकम १, चैतन्य चरितामृत अन्त्य लीला २०.१२) आप इसे हरे कृष्ण जप द्वारा प्राप्त करेंगे, आपकी आनंद प्राप्त करने की क्षमता अधिक से अधिक बढ़ती रहेगी।"|Vanisource:690213 - Lecture BG 06.01 - Los Angeles|690213 - भ. गी. ०६.०१ - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 04:26, 21 August 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"चैतन्य महाप्रभु कहते हैं कि एक आनंद का सागर है, स्वाद का सागर है, पारलौकिक आनंद का सागर है, जो बढ़ता जा रहा है। आनंदमबुधि वर्धनम प्रति पदम् पुर्नामृत आस्वादनम सर्वात्मा स्नपनं परम विजयते श्री कृष्ण संकीर्तनम (शिक्षाष्टकम १, चैतन्य चरितामृत अन्त्य लीला २०.१२) आप इसे हरे कृष्ण जप द्वारा प्राप्त करेंगे, आपकी आनंद प्राप्त करने की क्षमता अधिक से अधिक बढ़ती रहेगी।" |
690213 - भ. गी. ०६.०१ - लॉस एंजेलेस |