HI/690217 - तोसाना कृष्ण को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन...") |
No edit summary |
||
Line 20: | Line 20: | ||
मेरे प्रिय तोसाना कृष्ण,<br> | मेरे प्रिय तोसाना कृष्ण,<br> | ||
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक १० फरवरी, १९६९ के पत्र की प्राप्ति की सूचना देना चाहता हूं, और मैंने प्रशंसा के साथ विषय को नोट कर लिया है। अगर आपको उत्तरी कैरोलिना के भूरिजाना से कोई पत्र मिला है तो आप तुरंत वहां जा सकते हैं। यह अभी के लिए प्रायोगिक आधार पर है। यदि आप सफल हैं, तो यह कृष्ण की कृपा है, और मुझे आशा है कि आप निश्चित रूप से सफल होंगे। वहाँ बहुत सारे छात्र हैं, और शायद इस | कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक १० फरवरी, १९६९ के पत्र की प्राप्ति की सूचना देना चाहता हूं, और मैंने प्रशंसा के साथ विषय को नोट कर लिया है। अगर आपको उत्तरी कैरोलिना के भूरिजाना से कोई पत्र मिला है, तो आप तुरंत वहां जा सकते हैं। यह अभी के लिए प्रायोगिक आधार पर है। यदि आप सफल हैं, तो यह कृष्ण की कृपा है, और मुझे आशा है कि आप निश्चित रूप से सफल होंगे। वहाँ बहुत सारे छात्र हैं, और शायद इस तरह का कोई अन्य संगठन नहीं है। तो आप वहां केवल कीर्तन करने के लिए जाएंगे, भगवद्गीता जैसा है वैसा ही पढ़ें, और हमारे बैक टू गॉडहेड, प्रत्येक छात्र को कम से कम एक प्रति बेचने का प्रयास करें। तभी हमारा प्रचार सफल होगा।<br> | ||
आपके सिरदर्द के संबंध में, आपकी आंतें साफ़ नहीं हैं। यही समस्या का कारण है। इसलिए आपको दूध और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए और गेहूं और चावल कम खाना चाहिए। यदि चंदन का तेल उपलब्ध है, तो आप अपने मुंडा सिर पर मालिश करने का प्रयास करें। मुझे बताएं कि यह परेशानी कैसे सुधर रही है। ब्रह्मचारी को शारीरिक रोग की शिकायत नहीं होनी चाहिए।<br> | आपके सिरदर्द के संबंध में, आपकी आंतें साफ़ नहीं हैं। यही समस्या का कारण है। इसलिए आपको दूध और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए और गेहूं और चावल कम खाना चाहिए। यदि चंदन का तेल उपलब्ध है, तो आप अपने मुंडा सिर पर मालिश करने का प्रयास करें। मुझे बताएं कि यह परेशानी कैसे सुधर रही है। ब्रह्मचारी को शारीरिक रोग की शिकायत नहीं होनी चाहिए।<br> | ||
Line 27: | Line 27: | ||
आपका सदैव शुभचिंतक,<br> | आपका सदैव शुभचिंतक,<br> | ||
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी |
Latest revision as of 12:48, 26 November 2021
१७ फरवरी, १९६९
मेरे प्रिय तोसाना कृष्ण,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक १० फरवरी, १९६९ के पत्र की प्राप्ति की सूचना देना चाहता हूं, और मैंने प्रशंसा के साथ विषय को नोट कर लिया है। अगर आपको उत्तरी कैरोलिना के भूरिजाना से कोई पत्र मिला है, तो आप तुरंत वहां जा सकते हैं। यह अभी के लिए प्रायोगिक आधार पर है। यदि आप सफल हैं, तो यह कृष्ण की कृपा है, और मुझे आशा है कि आप निश्चित रूप से सफल होंगे। वहाँ बहुत सारे छात्र हैं, और शायद इस तरह का कोई अन्य संगठन नहीं है। तो आप वहां केवल कीर्तन करने के लिए जाएंगे, भगवद्गीता जैसा है वैसा ही पढ़ें, और हमारे बैक टू गॉडहेड, प्रत्येक छात्र को कम से कम एक प्रति बेचने का प्रयास करें। तभी हमारा प्रचार सफल होगा।
आपके सिरदर्द के संबंध में, आपकी आंतें साफ़ नहीं हैं। यही समस्या का कारण है। इसलिए आपको दूध और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए और गेहूं और चावल कम खाना चाहिए। यदि चंदन का तेल उपलब्ध है, तो आप अपने मुंडा सिर पर मालिश करने का प्रयास करें। मुझे बताएं कि यह परेशानी कैसे सुधर रही है। ब्रह्मचारी को शारीरिक रोग की शिकायत नहीं होनी चाहिए।
मुझे आशा है कि यह आपको अच्छे स्वास्थ्य में मिलेगा।
आपका सदैव शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/1969-02 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका से
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र जो लिखे गए - अमेरीका, लॉस एंजिलस से
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका
- HI/श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,वार्तालाप एवं पत्र - अमेरीका, लॉस एंजिलस
- HI/श्रील प्रभुपाद के पत्र - तोसाना कृष्ण को
- HI/श्रील प्रभुपाद के सभी पत्र हिंदी में अनुवादित
- HI/सभी हिंदी पृष्ठ
- HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र जिन्हें स्कैन की आवश्यकता है