HI/690221 - हंसदूत को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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२१ फरवरी, १९६७<br>
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मेरे प्रिय हंसदूत,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक १४ फरवरी १९६९ के पत्र की प्राप्ति की उचित रशीद में हूं, और मैंने सामग्री को ध्यान से नोट कर लिया है। संकीर्तन पार्टी में शामिल होने के संबंध में, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा करें और मैं आपको सही समय पर फोन करूंगा। मेरे मन में यह है। जब मैं लंदन जाता हूं और कृष्ण की कृपा से हम दुनिया भर में जाने के लिए तय करते हैं, या फिर ऐसा संभव नहीं होता है, अगर लंदन के भक्तों को अपनी संकीर्तन पार्टी को और अधिक आकर्षण के साथ मजबूत करने की आवश्यकता है, तो वहां आपकी सेवाओं की आवश्यकता होगी। लेकिन इस बीच आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप वहां किसी को प्रशिक्षित करें ताकि आपकी अनुपस्थिति में वह सेवा संभाल सके।
जहां तक ​​विग्रहों की पूजा में दंडवत की बात है, द्वार खोलने से पहले आपको प्रणाम करना चाहिए। फिर लाइट ऑन करें और फिर से दंडवत करें। दंडवत प्रणाम पर कोई पाबंदी नहीं है। जितनी बार आप कर सकते हैं ठीक है। बेशक, आपके कपड़े और अंतर्वस्त्र हमेशा यथासंभव साफ-सुथरे होने चाहिए। विग्रहों के चारों ओर नृत्य करने के लिए मेहमानों और भक्तों को ऊनी वस्त्र पहनने की आवश्यकता नहीं है। आरती में मेहमानों के उपस्थित होने के बारे में आपके प्रश्न के संबंध में, आरती में आने के लिए जितना संभव हो सके उतने मेहमान होने चाहिए।
कृपया अपने मंदिर के सभी भक्तों को मेरा आशीर्वाद दें। मुझे आशा है कि यह पत्र आपसे और आपकी अच्छी पत्नी, हिमावती से अच्छे स्वास्थ्य में मिलेगा।
   
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
ध्यान दीजिये फ्रेंच बैक टू गोडहेड के बारे में क्या? मैंने जनार्दन को फ्रेंच में मेरी भगवद गीता को अनुवाद करने के लिए अनुग्रह किया है। क्या उन्हें  रायराम से प्रति प्राप्त हुई है? कृपया उन्हें मुझे लिखने के लिए कहें। अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद [[Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र]]
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Latest revision as of 05:06, 3 July 2021

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda



२१ फरवरी, १९६७

मेरे प्रिय हंसदूत,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं आपके दिनांक १४ फरवरी १९६९ के पत्र की प्राप्ति की उचित रशीद में हूं, और मैंने सामग्री को ध्यान से नोट कर लिया है। संकीर्तन पार्टी में शामिल होने के संबंध में, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा करें और मैं आपको सही समय पर फोन करूंगा। मेरे मन में यह है। जब मैं लंदन जाता हूं और कृष्ण की कृपा से हम दुनिया भर में जाने के लिए तय करते हैं, या फिर ऐसा संभव नहीं होता है, अगर लंदन के भक्तों को अपनी संकीर्तन पार्टी को और अधिक आकर्षण के साथ मजबूत करने की आवश्यकता है, तो वहां आपकी सेवाओं की आवश्यकता होगी। लेकिन इस बीच आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप वहां किसी को प्रशिक्षित करें ताकि आपकी अनुपस्थिति में वह सेवा संभाल सके।

जहां तक ​​विग्रहों की पूजा में दंडवत की बात है, द्वार खोलने से पहले आपको प्रणाम करना चाहिए। फिर लाइट ऑन करें और फिर से दंडवत करें। दंडवत प्रणाम पर कोई पाबंदी नहीं है। जितनी बार आप कर सकते हैं ठीक है। बेशक, आपके कपड़े और अंतर्वस्त्र हमेशा यथासंभव साफ-सुथरे होने चाहिए। विग्रहों के चारों ओर नृत्य करने के लिए मेहमानों और भक्तों को ऊनी वस्त्र पहनने की आवश्यकता नहीं है। आरती में मेहमानों के उपस्थित होने के बारे में आपके प्रश्न के संबंध में, आरती में आने के लिए जितना संभव हो सके उतने मेहमान होने चाहिए।

कृपया अपने मंदिर के सभी भक्तों को मेरा आशीर्वाद दें। मुझे आशा है कि यह पत्र आपसे और आपकी अच्छी पत्नी, हिमावती से अच्छे स्वास्थ्य में मिलेगा।

आपका नित्य शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

ध्यान दीजिये फ्रेंच बैक टू गोडहेड के बारे में क्या? मैंने जनार्दन को फ्रेंच में मेरी भगवद गीता को अनुवाद करने के लिए अनुग्रह किया है। क्या उन्हें रायराम से प्रति प्राप्त हुई है? कृपया उन्हें मुझे लिखने के लिए कहें। अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद