HI/690311 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 08:30, 1 September 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"वैष्णव विनम्र और नम्र है। वह गर्वित नहीं है, भले ही उसके पास बड़ी मात्रा में धन, अच्छी योग्यता हो, वह सोचता है कि "ये सब कृष्ण की हैं। मैं उनका सेवक हूँ। मुझे इन योग्यताओं के साथ उनकी सेवा करने का अवसर मिला है। यदि मैं उच्च शिक्षित हूं, यदि मुझे अच्छा ज्ञान मिला है, यदि मैं महान दार्शनिक हूं, वैज्ञानिक हूं - यदि मैं इन सभी योग्यताओं को कृष्ण की सेवा में नहीं लगाता हूं, तो मैं स्वाभाविक रूप से मिथ्या अभिमानी बन जाऊंगा, तथा यह ही मेरे नीचे गिरने का कारण है"।"
690311 - प्रवचन SB श्रीमद भागवतम ०७.०९.१० - हवाई