HI/690314 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 23:16, 8 May 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो आध्यत्मिक जगत भौतिक जगत से भिन्न है। आध्यत्मिक तौर पर यह भिन्न है। तो हम अभी हम आध्यात्मिक रूप से नहीं समझ सकते, क्योंकि हम (भौतिक) विषय में तल्लीन हैं। किन्तु हम विश्वसनीय स्रोतों से समझ सकते हैं प्रामाणिक स्रोतों से, कि कृष्ण सर्वत्र हैं, यद्यपि वे बहुत दूर अलग हैं अपने धाम में , भौतिक जगत के परे। तो मैंने अभी भौतिक जगत का वर्णन किया कि हम (भौतिक जगत की) सीमा तक नहीं पहुँच सकते, और फिर आध्यात्मिक जगत जाने के बारे में तो क्या कहना जो इस आकाश से बहुत परे है। किन्तु यद्यपि भौतिक साधनों से यह असंभव है, आध्यात्मिकता से यह संभव है। आध्यात्मिकता से यह संभव है। तो कृष्ण भावना आंदोलन एक आध्यात्मिक आंदोलन है; यह एक भौतिकतावादी आंदोलन नहीं है।"
690314 - प्रवचन - हवाई