HI/690411 बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६९ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - update old navigation bars (prev/next) to reflect new neighboring items) |
||
Line 3: | Line 3: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - न्यूयार्क]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - न्यूयार्क]] | ||
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690410b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690410b|HI/ | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690410b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690410b|HI/690411b बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690411b}} | ||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | <!-- END NAVIGATION BAR --> | ||
{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690411R1-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|वन मैं कुछ परेशानी थी क्योकि कंस कृष्ण को मारने के पीछे पड़ा था । वह अपने सहायकों को भेज रहा था, तो कुछ असुर आते थे, बकासुर, अघासुर और कृष्ण उन्हें मार डालते । और लड़के वापस आके अपनी माताओ को कहानी बयान करते । 'ओह मेरी प्यारी माँ ! ऐसी और ऐसी चीज हुई और कृष्ण ने इसे मार डाला ! बहुत...' (हंसी) माताए कहती, 'ओह, हां, हमारा कृष्ण अद्भुत है !' (हंसी) तो कृष्ण उनका आनंद था । बस इतना ही । माता कृष्ण के बारे मैं बात कर रही है और लड़के भी कृष्ण के बारे में बात करते है । तो वे कृष्ण के अलावा कुछ नहीं जानते थे । कृष्ण । जब भी कोई मुसीबत आती है, 'ओ कृष्ण' । जब आग लगती है, 'ओ, कृष्ण' । यह वृन्दावन की सुंदरता है । उनका मन कृष्ण में लीन है । ज्ञान के माध्यम से नहीं बल्कि प्राकृतिक प्रेम । 'कृष्ण हमारा गाँव का लड़का है, हमारा रिश्तेदार, हमारा दोस्त, हमारा प्रेमी, हमारा स्वामी ।' ऐसे या वैसे, कृष्ण ।|Vanisource:690411 - Conversation - New York|690411 - बातचीत - न्यूयार्क}} | {{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690411R1-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|वन मैं कुछ परेशानी थी क्योकि कंस कृष्ण को मारने के पीछे पड़ा था । वह अपने सहायकों को भेज रहा था, तो कुछ असुर आते थे, बकासुर, अघासुर और कृष्ण उन्हें मार डालते । और लड़के वापस आके अपनी माताओ को कहानी बयान करते । 'ओह मेरी प्यारी माँ ! ऐसी और ऐसी चीज हुई और कृष्ण ने इसे मार डाला ! बहुत...' (हंसी) माताए कहती, 'ओह, हां, हमारा कृष्ण अद्भुत है !' (हंसी) तो कृष्ण उनका आनंद था । बस इतना ही । माता कृष्ण के बारे मैं बात कर रही है और लड़के भी कृष्ण के बारे में बात करते है । तो वे कृष्ण के अलावा कुछ नहीं जानते थे । कृष्ण । जब भी कोई मुसीबत आती है, 'ओ कृष्ण' । जब आग लगती है, 'ओ, कृष्ण' । यह वृन्दावन की सुंदरता है । उनका मन कृष्ण में लीन है । ज्ञान के माध्यम से नहीं बल्कि प्राकृतिक प्रेम । 'कृष्ण हमारा गाँव का लड़का है, हमारा रिश्तेदार, हमारा दोस्त, हमारा प्रेमी, हमारा स्वामी ।' ऐसे या वैसे, कृष्ण ।|Vanisource:690411 - Conversation - New York|690411 - बातचीत - न्यूयार्क}} |
Latest revision as of 06:13, 17 January 2021
Nectar Drops from Srila Prabhupada |
वन मैं कुछ परेशानी थी क्योकि कंस कृष्ण को मारने के पीछे पड़ा था । वह अपने सहायकों को भेज रहा था, तो कुछ असुर आते थे, बकासुर, अघासुर और कृष्ण उन्हें मार डालते । और लड़के वापस आके अपनी माताओ को कहानी बयान करते । 'ओह मेरी प्यारी माँ ! ऐसी और ऐसी चीज हुई और कृष्ण ने इसे मार डाला ! बहुत...' (हंसी) माताए कहती, 'ओह, हां, हमारा कृष्ण अद्भुत है !' (हंसी) तो कृष्ण उनका आनंद था । बस इतना ही । माता कृष्ण के बारे मैं बात कर रही है और लड़के भी कृष्ण के बारे में बात करते है । तो वे कृष्ण के अलावा कुछ नहीं जानते थे । कृष्ण । जब भी कोई मुसीबत आती है, 'ओ कृष्ण' । जब आग लगती है, 'ओ, कृष्ण' । यह वृन्दावन की सुंदरता है । उनका मन कृष्ण में लीन है । ज्ञान के माध्यम से नहीं बल्कि प्राकृतिक प्रेम । 'कृष्ण हमारा गाँव का लड़का है, हमारा रिश्तेदार, हमारा दोस्त, हमारा प्रेमी, हमारा स्वामी ।' ऐसे या वैसे, कृष्ण । |
690411 - बातचीत - न्यूयार्क |