HI/690426 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बोस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
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[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690426LE-BOSTON_ND_01.mp3</mp3player>|"कई योगी हैं:कर्म-योगी, ज्ञान-योगी, ध्यान-योगी, हठ-योगी, भक्ति-योगी। योग प्रणाली सिर्फ सीढ़ी की तरह है। बस न्यूयॉर्क की तरह, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, यह १०२ मंजिला इमारत, इसलिए एक सीढ़ी या लिफ्ट है, इसलिए योग प्रणाली सिर्फ जीवन की सर्वोच्च पूर्णता पर जाने के लिफ्ट की तरह है, लेकिन अलग-अलग हैं, मेरा मतलब है फ्लैट्स, जैसे कि कर्म-योग। इसी तरह, ज्ञान-योग से, आप पचासवां मंजिल तक प्रगति कर सकते हैं.और इसी तरह, ध्यान-योग से, आप अठारहवीं मंजिल तक प्रगति कर सकते हैं.पर भक्ति योग द्वारा, आप उच्चतम मंच पर जा सकते हैं। यह भी भगवद गीता, भक्तियाम अभिजानति (भ. .१८.५५ ) में बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है। यदि आप मुझे प्रतिशत जानना चाहते हैं, तो इस भक्ति योग पर आइए। और इस भक्ति-योग का अर्थ है श्रवणम । पहली बात यह है श्रवणम और कीर्तनम है। आप बस गाते हैं और सुनते हैं, सरल प्रक्रिया।"|Vanisource:690426 - Lecture - Boston|690426 - Lecture - Boston}}
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Latest revision as of 10:22, 3 February 2021

Nectar Drops from Srila Prabhupada
कई योगी हैं: कर्म-योगी, ज्ञान-योगी, ध्यान-योगी, हठ-योगी, भक्ति-योगी । योग प्रणाली बिलकुल एक सीढ़ी की तरह है । बस न्यूयॉर्क की तरह, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, यह १०२ मंजिला इमारत, तो एक सीढ़ी या लिफ्ट है । तो योग प्रणाली जीवन की सर्वोच्च पूर्णता पर जाने के लिए बिलकुल एक लिफ्ट की तरह है । लेकिन अलग-अलग हैं, मेरा मतलब है फ्लैट्स । जैसे कि कर्म-योग । आप पहले या दूसरे माले तक पहुँच सकते हो । इसी तरह, ज्ञान-योग से, आप पचासवे माले तक प्रगति कर सकते हैं । और इसी तरह, ध्यान-योग से, आप अठारहवीं मंजिल तक प्रगति कर सकते हैं । पर भक्ति योग द्वारा, आप उच्चतम मंच पर जा सकते हैं । यह भी भगवद गीता में बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है, भक्त्या माम अभिजानति (भ.गी. १८.५५) । भगवान् कहते है, 'यदि आप मुझे शत प्रतिशत जानना चाहते हैं, तो इस भक्ति योग पर आइए ।' और इस भक्ति-योग का अर्थ है श्रवणम । पहली बात है श्रवणम और कीर्तनम । आप बस जप करो और सुनो, सरल प्रक्रिया ।
690426 - प्रवचन - बोस्टन