तो इस महाभारत इतिहास विशेष रूप से इन वर्गों के लिए था: महिला, कार्यकर्ता वर्ग और इस द्विजबंधु वर्ग, या तथाकथित ब्राह्मण और क्षत्रिय । लेकिन फिर भी अगर आप महाभारत पढ़ते हैं तो पाएंगे कि इस उम्र के महानतम विद्वान के लिए भी यह मुश्किल है । बस गीता की तरह- गीता । गीता महाभारत में स्थापित किया गया है, और मूल रूप से यह पुरुषों के कम बुद्धिमान वर्ग के लिए था । तो तुम सिर्फ समझने की क्या पुरुषों के वर्ग उन दिनों में अस्तित्व की कोशिश कर सकते हैं । दरअसल यह तो है. गीता इस तरह के अच्छे दार्शनिक आध्यात्मिक ग्रंथ है, महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन को सिखाया है । तो युद्ध के मैदान में कितना समय वह बख्श सकता है? और बिंदु पर वह लड़ने जा रहा था, उसने सोचा, "ओह, मैं क्यों लड़ना होगा?" तो कुछ अनुदेश कृष्ण द्वारा दिया गया था-तो आप कल्पना कर सकते हैं, अत्यंत आधे घंटे या सबसे अधिक एक घंटे में वह बात की-और वह पूरे भगवत- गीता समझ । तो क्या आदमी का वर्ग अर्जुन था? वही गीता- गीता इस उम्र के भी बड़े विद्वान हैं, वे समझ नहीं सकते. और अर्जुन इसे आधे घंटे के भीतर समझ गया "
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