HI/690512c बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - कोलंबस]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - कोलंबस]]
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690512b बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690512b|HI/690513 बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690513}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690512R1-COLUMBUS_ND_01.mp3</mp3player>|"हमारी सिफारिश है कि बस हरे कृष्ण गुणगान करो। जहाँ तक (यह मंत्र) संस्कृत शब्द है, वह कोई समस्या नहीं है, सभी गुणगान कर रहे हैं। तो क्या मुश्किल है? कोई भी मज़हबी प्रणाली लाओ। तुम इतनी सरल (प्रणाली) नहीं खोज पाओगे। हम कर्मकांड की अनुशंसा नहीं करते। वह... वह बहुत महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (यह) दे रहे हैं, (कि) कहो, सिर्फ गुणगान करो। कर्मकांड का निष्पादन थोड़ा और सहायक है। बस इतना। वह सहायक है। (किन्तु) वह आवश्यक नहीं है। चैतन्य महाप्रभु ने कहा था कि समग्र शक्ति, और समग्र सौंदर्य, समग्र विवेक, सभी कुछ (वहां) है नाम में। सिर्फ गुणगान के द्वारा हमें सब सुलभ है, सभी कुछ। किन्तु (कर्मकांड) मात्र इसे मदद करने के लिए। यह (स्वयं) कुछ नहीं करता।।। यदि कोई हमारे कर्मकांड को नहीं चाहता, (तो) वह महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (कर्मकांड करने को) नहीं कहते। हम बस अनुशंसा करते हैं " तुम कृपया गुणगान करो"। बस इतना।"|Vanisource:690512 - Conversation with Allen Ginsberg - Columbus|690512 - बातचीत with Allen Ginsberg - कोलंबस}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690512R1-COLUMBUS_ND_01.mp3</mp3player>|"हमारी सिफारिश है कि बस हरे कृष्ण गुणगान करो। जहाँ तक (यह मंत्र) संस्कृत शब्द है, वह कोई समस्या नहीं है, सभी गुणगान कर रहे हैं। तो क्या मुश्किल है? कोई भी मज़हबी प्रणाली लाओ। तुम इतनी सरल (प्रणाली) नहीं खोज पाओगे। हम कर्मकांड की अनुशंसा नहीं करते। वह... वह बहुत महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (यह) दे रहे हैं, (कि) कहो, सिर्फ गुणगान करो। कर्मकांड का निष्पादन थोड़ा और सहायक है। बस इतना। वह सहायक है। (किन्तु) वह आवश्यक नहीं है। चैतन्य महाप्रभु ने कहा था कि समग्र शक्ति, और समग्र सौंदर्य, समग्र विवेक, सभी कुछ (वहां) है नाम में। सिर्फ गुणगान के द्वारा हमें सब सुलभ है, सभी कुछ। किन्तु (कर्मकांड) मात्र इसे मदद करने के लिए। यह (स्वयं) कुछ नहीं करता।।। यदि कोई हमारे कर्मकांड को नहीं चाहता, (तो) वह महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (कर्मकांड करने को) नहीं कहते। हम बस अनुशंसा करते हैं " तुम कृपया गुणगान करो"। बस इतना।"|Vanisource:690512 - Conversation with Allen Ginsberg - Columbus|690512 - बातचीत with Allen Ginsberg - कोलंबस}}

Latest revision as of 23:18, 12 May 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हमारी सिफारिश है कि बस हरे कृष्ण गुणगान करो। जहाँ तक (यह मंत्र) संस्कृत शब्द है, वह कोई समस्या नहीं है, सभी गुणगान कर रहे हैं। तो क्या मुश्किल है? कोई भी मज़हबी प्रणाली लाओ। तुम इतनी सरल (प्रणाली) नहीं खोज पाओगे। हम कर्मकांड की अनुशंसा नहीं करते। वह... वह बहुत महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (यह) दे रहे हैं, (कि) कहो, सिर्फ गुणगान करो। कर्मकांड का निष्पादन थोड़ा और सहायक है। बस इतना। वह सहायक है। (किन्तु) वह आवश्यक नहीं है। चैतन्य महाप्रभु ने कहा था कि समग्र शक्ति, और समग्र सौंदर्य, समग्र विवेक, सभी कुछ (वहां) है नाम में। सिर्फ गुणगान के द्वारा हमें सब सुलभ है, सभी कुछ। किन्तु (कर्मकांड) मात्र इसे मदद करने के लिए। यह (स्वयं) कुछ नहीं करता।।। यदि कोई हमारे कर्मकांड को नहीं चाहता, (तो) वह महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (कर्मकांड करने को) नहीं कहते। हम बस अनुशंसा करते हैं " तुम कृपया गुणगान करो"। बस इतना।"
690512 - बातचीत with Allen Ginsberg - कोलंबस