HI/690605 - तूर्य को लिखित पत्र, न्यू वृंदाबन, अमेरिका

Revision as of 04:25, 6 May 2022 by Dhriti (talk | contribs) (Created page with "Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के पत्र‎ Category:HI/1969 - श्रील प्रभुपाद के प्रवचन,...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
तूर्यदास को पत्र


त्रिदंडी गोस्वामी
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ

केंद्र: न्यू वृंदाबन
       आरडी ३,
       माउंड्सविल, वेस्ट वर्जीनिया
       २६०४१
दिनांक...... जून ५,...................१९६९

मेरे प्रिय तूर्यदास,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। आपके जप माला के साथ भेजा गया आपका मई २९, १९६९ का पत्र मुझे प्राप्त हुआ है, और मैंने उनका विधिवत जप किया है और आपको अपने शिष्य के रूप में दीक्षा दी है। आपका आध्यात्मिक नाम तुर्यदास है और इसका अर्थ है पारलौकिक। तो आप पारलौकिक भगवान, कृष्ण, के सेवक हैं और जब कोई दिव्य भगवान की सेवा करता है, तो वह भी पूरी तरह से भौतिक प्रकृति के नियमों और प्रदूषण से परे हो जाता है। भौतिक जीवन में, हर कोई कर्म के नियमों से कसकर बंधा हुआ है, और किसी भी भौतिक माध्यम से इन नियमों को पार करने का कोई सवाल ही नहीं है। आधुनिक सभ्यता भौतिक जीवन के कष्टों, अर्थात् जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और रोगों को भौतिक ज्ञान की उन्नति के द्वारा पार करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वास्तव में यह प्रगति उन्हें जीवन की भौतिक अवधारणा में और अधिक मजबूती से बांध रही है। तो इस प्रकार इन भौतिक दुखों से कोई मुक्ति या अतिक्रमण नहीं है। जो बुद्धिमान व्यक्ति यह समझ लेता है कि भौतिक उन्नति के कार्य की सेवा करने के बजाय, उसे कृष्ण की सेवा करनी चाहिए, तो ऐसा व्यक्ति कर्म के कड़े नियमों से परे हो जाता है। कृष्ण हमें भगवद् गीता में निर्देश देते हैं कि जो कोई प्रेमपूर्ण भक्ति सेवा में उनकी सेवा करता है, वह सभी भौतिक संदूषण से पूरी तरह से मुक्त हो जाता है।

अब आपके पास जप माला है, इसलिए कृपया प्रतिदिन कम से कम १६ माला जाप करें, और भगवद् गीता यथारूप का प्रतिदिन कम से कम एक अध्याय पढ़ें। गौरसुंदर आपको उन १० अपराधों के बारे में बताएंगे जिनसे बचना चाहिए। आपको जिन चार प्रमुख नियामक प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए वे हैं १) कॉफी या चाय सहित कोई नशा नहीं, २) कोई अवैध यौन-जीवन नहीं, ३) कोई मांसाहारी आहार नहीं, ४) कोई जुआ नहीं। मैं गौरसुंदर से समझता हूं कि आप पहले से ही हवाई मंदिर की मदद कर रहे हैं और आप बहुत अच्छे, ईमानदार लड़के हैं। तो ईमानदारी और सेवा की इन अच्छी योग्यताओं के साथ आप निश्चित रूप से कृष्णभावनामृत में अपने जीवन की संसिद्धि करने में अच्छी प्रगति करेंगे। जैसा कि आप भगवद् गीता के इस महान आध्यात्मिक विज्ञान के बारे में प्रश्न कर रहे हैं, कृपया गौरसुंदर से परामर्श करें, वह एक बहुत ही बुद्धिमान लड़का है, और मैं भी यथासंभव मदद करने के लिए हमेशा आपकी सेवा में हूं।

मुझे आशा है की आप अच्छे हैं।
आपका नित्य शुभचिंतक,

ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी