HI/690606b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(No difference)

Latest revision as of 13:09, 1 February 2021

Nectar Drops from Srila Prabhupada
केवल कृष्ण को समझकर, जन्म कर्म मे दिव्यम यो जानाती तत्त्वतः त्यक्त्वा देहं (भ.गी. ४.९), वह व्यक्ति, इस शरीर को छोड़ने के बाद, माम एति, वह कृष्ण के पास जाता है । और जब तक व्यक्ति के पास वही आध्यात्मिक शरीर, सच्चिदानंद विग्रह (ब्र.सं. ५.१), नहीं होता, कैसे वो कृष्ण के पास जा सकता है ? जब तक व्यक्ति के पास वही विग्रह नहीं होता... जैसे हम समझ सकते हैं कि जब हम किसी विशेष स्थान पर जन्म लेते हैं, जैसे ग्रीनलैंड में, जो हमेशा बर्फ से भरा होता है, या किसी अन्य जगह, तो आपको एक विशेष प्रकार का शरीर मिला है । वहां जानवर, मनुष्य, उनके पास एक विशेष प्रकार का शरीर है । वे तीव्र ठंड सहन कर सकते हैं । हम नहीं कर सकते । इसी तरह, जब आप कृष्णलोक जाते हैं, आपको एक विशेष प्रकार का शरीर होगा । वो विशेष प्रकार का शरीर क्या है ? सच्चिदानंद विग्रह (ब्र.सं ५.१) । आप कोई भी ग्रह पे जाओ, आपके पास विशेष शरीर होना चाहिए । तो त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैती (भ.गी. ४.९) । और जैसे ही आप शाश्वत शरीर प्राप्त करते हैं, तो आपको इस भौतिक संसार में फिर से वापस आने की ज़रूरत नहीं है ।
690606 - प्रवचन श्री.भा. १.५.९-११ - न्यू वृंदावन, अमरीका