HI/690609 बातचीत - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो यह आंदोलन, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, मैं कहना चाहता हूँ (यह) सब कुछ सुगम, सब कुछ पक्का कर देगा। तो उन्हें अवश्य (यह) जानना होगा। और हमारी विधि बहुत सरल है। हम इस विधि की शुरुआत कारखानों तक में , कहीं भी (कर सकते हैं), और हम सभी कुछ शांतिमय बना देते हैं। यह वास्तविकता है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, हर जगह। चेतो-दर्पण-मार्जनम (श्री चैतन्य चरितामृत २०.१२) यह एक शुद्धिकरण विधि है। सभी कुछ मैला है। इसलिए हम शुद्धि करना चाहते हैं और लोगों को शांत और प्रसन्न बना देंगे। यह हमारा लक्ष्य है। हम धन संग्रह करने वाला संघ नहीं हैं, कि, "मुझे तुम्हारा धन दो, और मुझको आनंद लेने दो।" हम वैसे नहीं हैं। धन..., हमारे पास बहुत धन है। कृष्ण हमारे... सारा धन कृष्ण का है। यम लभ्धवा चापरं लाभम मन्यते नाधिकं ततः (भगवद्गीता ६.२२)। कृष्ण इतने मूल्यवान हैं, यदि व्यक्ति को कृष्ण मिल जाएँ, (तो) वह उससे अधिक और कुछ नहीं चाहता।"
690609 - बातचीत - New Vrindaban, USA