प्रारंभ में हम अपराधयुक्त जप करते है - दस प्रकार के अपराध । परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जप नहीं करेंगे । यदि अपराध भी हैं, हम फिर भी जप करते रहेंगे । जप करने से हमें सभी अपराधों से मुक्त होने में सहायता मिलेगी । अवश्य, हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम अपराध न करे । इसलिए दस प्रकार के अपराधों की यह सूची दी गई है । हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिए । और जैसे ही अपराधमुक्त जप होता है, तो व्यक्ति मुक्त अवस्था पर पहुंच जाता है । यह मुक्त अवस्था है । और मुक्त अवस्था के उपरांत, जप अत्यधिक आनंद दायक होगा क्योंकि यह दिव्य अवस्था है तत्पश्चात भगवान के वास्तविक प्रेम का आभास किया जाएगा ।
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