HI/690711 - गोपाल कृष्ण को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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संस्थापक-आचार्य: <br/>
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अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ <br/>
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1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड बुलेवार्ड <br>
1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड<br>
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034


11 जुलाई, 1969, लॉस ऐन्जेलेस,
11 जुलाई, 1969
 
 
मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,
मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे $50 के चेक के साथ तुम्हारा दिनांक 4 जुलाई, 1969 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैं इसके लिए तुम्हारा बहुत धन्यवाद करता हूँ। मैं यह जान कर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम्हारे पिता हमारे कृष्णभावनामृत आंदोलन के लिए कुछ कार्य करके खुश होंगे। मैं उनके उत्तर की बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूँ। चूंकि कि तुमने मुझसे कुछ करने के बारे में पूछा है और भारत में कहीं कोई मन्दिर बनवाने की ओर तुम्हारा रुझान भी है, तो मैं तुमसे अनुरोध करना चाहुंगा कि जब तुम भारत जाओ, तब भगवान चैतन्य महाप्रभू के जन्मस्थान पर एक मन्दिर बनवाने पर विचार करना। मेरा शिष्य अच्युतानंद वहां पर पहले से ही कृष्णभावनाभावित भक्तों हेतू एक अमेरिकन होम बनाने के लिए एक उपयुक्त भूखण्ड की तलाश में लगा हुआ है। और जब तुम भारत जाओ, यदि तुम उसके साथ सहयोग करो, तो यह एक महान सफलता होगी। वह वहां पर अकेला है और तुम्हारे जाने पर दो हो जाएंगे और शायद दो अन्य अमरीकी शिष्य भी वहां जाएंगे। ते मिलजुलकर तुम, चैतन्य महाप्रभू के दिव्य जन्मस्थान जाने वाले विदेशी विद्यार्थियों हेतु, एक सुन्दर केन्द्र स्थापित कर सकते हो। मैं सोचता हूँ कि यदि तुम वहां ऐसी बढ़िया व्यवस्था करो तो शायद कुछ अन्य अमरीकी वहां पर आकर एक सुन्दर मन्दिर के लिए योगदान करेंगे। तो इन बातों को ध्यान में रखो। ये भारत में तुम्हारे कार्य के लिए एक संकेत मात्र हैं। तुम सुविधानुसार इस योजना पर विचार कर सकते हो।
 
कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे 50 डॉलर के चेक के साथ तुम्हारा दिनांक 4 जुलाई, 1969 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैं इसके लिए तुम्हारा बहुत धन्यवाद करता हूँ। मैं यह जान कर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम्हारे पिता हमारे कृष्णभावनामृत आंदोलन के लिए कुछ कार्य करके खुश होंगे। मैं उनके उत्तर की बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूँ। चूंकि कि तुमने मुझसे कुछ करने के बारे में पूछा है और भारत में कहीं कोई मन्दिर बनवाने की ओर तुम्हारा रुझान भी है, तो मैं तुमसे अनुरोध करना चाहुंगा कि जब तुम भारत जाओ, तब भगवान चैतन्य महाप्रभू के जन्मस्थान पर एक मन्दिर बनवाने पर विचार करना। मेरा शिष्य अच्युतानंद वहां पर पहले से ही कृष्णभावनाभावित भक्तों हेतू एक अमेरिकन होम बनाने के लिए एक उपयुक्त भूखण्ड की तलाश में लगा हुआ है। और जब तुम भारत जाओ, यदि तुम उसके साथ सहयोग करो, तो यह एक महान सफलता होगी। वह वहां पर अकेला है और तुम्हारे जाने पर दो हो जाएंगे और शायद दो अन्य अमरीकी शिष्य भी वहां जाएंगे। ते मिलजुलकर तुम, चैतन्य महाप्रभू के दिव्य जन्मस्थान जाने वाले विदेशी विद्यार्थियों हेतु, एक सुन्दर केन्द्र स्थापित कर सकते हो। मैं सोचता हूँ कि यदि तुम वहां ऐसी बढ़िया व्यवस्था करो तो शायद कुछ अन्य अमरीकी वहां पर आकर एक सुन्दर मन्दिर के लिए योगदान करेंगे। तो इन बातों को ध्यान में रखो। ये भारत में तुम्हारे कार्य के लिए एक संकेत मात्र हैं। तुम सुविधानुसार इस योजना पर विचार कर सकते हो।
 
मॉन्ट्रिएल मन्दिर में जयपताका प्रभारी है और मैं आशा करता हूँ कि तुम भी उसके साथ सहयोग कर रहे हो। ऐसा लगता है कि वहां सबकुछ सुचारु रूप से चल रहा है। मैं उसके लिए एक पत्र यहां संलग्न कर रहा हूँ। तुम कृपया उसे यह पत्र दे देना। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।
मॉन्ट्रिएल मन्दिर में जयपताका प्रभारी है और मैं आशा करता हूँ कि तुम भी उसके साथ सहयोग कर रहे हो। ऐसा लगता है कि वहां सबकुछ सुचारु रूप से चल रहा है। मैं उसके लिए एक पत्र यहां संलग्न कर रहा हूँ। तुम कृपया उसे यह पत्र दे देना। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,
 
(हस्ताक्षर)
सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,<br/>
 
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ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी
ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी

Latest revision as of 09:09, 23 April 2022

Letter to Gopal Krishna


त्रिदंडी गोस्वामी

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

संस्थापक-आचार्य:
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
1975 सो ला सिएनेगा बुलेवर्ड
लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया 90034

11 जुलाई, 1969


मेरे प्रिय गोपाल कृष्ण,

कृपया मेरे आशीर्वाद स्वीकार करो। मुझे 50 डॉलर के चेक के साथ तुम्हारा दिनांक 4 जुलाई, 1969 का पत्र प्राप्त हुआ है और मैं इसके लिए तुम्हारा बहुत धन्यवाद करता हूँ। मैं यह जान कर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुम्हारे पिता हमारे कृष्णभावनामृत आंदोलन के लिए कुछ कार्य करके खुश होंगे। मैं उनके उत्तर की बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूँ। चूंकि कि तुमने मुझसे कुछ करने के बारे में पूछा है और भारत में कहीं कोई मन्दिर बनवाने की ओर तुम्हारा रुझान भी है, तो मैं तुमसे अनुरोध करना चाहुंगा कि जब तुम भारत जाओ, तब भगवान चैतन्य महाप्रभू के जन्मस्थान पर एक मन्दिर बनवाने पर विचार करना। मेरा शिष्य अच्युतानंद वहां पर पहले से ही कृष्णभावनाभावित भक्तों हेतू एक अमेरिकन होम बनाने के लिए एक उपयुक्त भूखण्ड की तलाश में लगा हुआ है। और जब तुम भारत जाओ, यदि तुम उसके साथ सहयोग करो, तो यह एक महान सफलता होगी। वह वहां पर अकेला है और तुम्हारे जाने पर दो हो जाएंगे और शायद दो अन्य अमरीकी शिष्य भी वहां जाएंगे। ते मिलजुलकर तुम, चैतन्य महाप्रभू के दिव्य जन्मस्थान जाने वाले विदेशी विद्यार्थियों हेतु, एक सुन्दर केन्द्र स्थापित कर सकते हो। मैं सोचता हूँ कि यदि तुम वहां ऐसी बढ़िया व्यवस्था करो तो शायद कुछ अन्य अमरीकी वहां पर आकर एक सुन्दर मन्दिर के लिए योगदान करेंगे। तो इन बातों को ध्यान में रखो। ये भारत में तुम्हारे कार्य के लिए एक संकेत मात्र हैं। तुम सुविधानुसार इस योजना पर विचार कर सकते हो।

मॉन्ट्रिएल मन्दिर में जयपताका प्रभारी है और मैं आशा करता हूँ कि तुम भी उसके साथ सहयोग कर रहे हो। ऐसा लगता है कि वहां सबकुछ सुचारु रूप से चल रहा है। मैं उसके लिए एक पत्र यहां संलग्न कर रहा हूँ। तुम कृपया उसे यह पत्र दे देना। आशा करता हूँ कि यह तुम्हें अच्छे स्वास्थ्य में प्राप्त हो।

सर्वदा तुम्हारा शुभाकांक्षी,

(हस्ताक्षर)

ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी