HI/690908b बातचीत - श्रील प्रभुपाद हैम्बर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"माया है । तभी कृष्ण कहते है, माया बहुत बलवती है । लेकिन अगर आप कृष्ण को पकड़ लेते है बहुत .... ज़्यादा बलपूर्वक, तो माया कुछ नही कर पाएगी । अगर आपके जप को कोई रोक रहा है, तो आपको और भी ऊँचे स्वर मे जपना चाहिए: हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । ताकी आप माया को हरा सकें । औषधी यही है । कम से कम मे यही करता हुँ जब मे किसी संकट मे होता हुँ मे हरे कृष्ण ऊँचे स्वर मे जपता हुँ: हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । बस यही है । भक्तिविनोद ठाकुर... एक भजन है: जय सकल बिपद गया भक्तिविनोद बोले जाखों ओ नाम गाई ( गीतावली से ) । वो कहते है, जैसे ही मे हरे कृष्णा जपता हुँ, मे तत्क्षण ही सब संकटो से मुक्त हो जाता हुँ ।"
690908 - बातचीत - हैम्बर्ग