HI/690910 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हैम्बर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - Hamburg‎]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - हैम्बर्ग]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690910PU-HAMBURG_ND_01.mp3</mp3player>|“ तो नरोत्तम दास ठाकुर की व्याख्या कहती है कि इस युग मे, यदपी लोग मदिरा पान, व्यभिचारी, मांस भक्षी और सब ..... जुआरी, सब तरह के पापी अभिनेता है, फिर भी अगर वो इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन मे आते है और हरे कृष्णा जपते है ।उनका उद्धार हो जायेगा, निश्चित ही । ये भगवान चैतन्य का आशीर्वाद है ।”|Vanisource:690910 - Bhajan and Purport to Hari Hari Biphale - Hamburg|690910 - हरी हरी बिफले की भजन और व्याख्या - हैम्बर्ग}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690908c बातचीत - श्रील प्रभुपाद हैम्बर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690908c|HI/690911 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690911}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690910PU-HAMBURG_ND_01.mp3</mp3player>|"नरोत्तम दास ठाकुर की व्याख्या कहती है कि इस युग मे, यद्यपि लोग मद्यप, व्यभिचारी, मांस भक्षी और जुआरी हैं, सभी तरह के पापी अभिनेता हैं, फिर भी यदि वे इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को ग्रहण करते हैं और हरे कृष्ण जपते हैं, तो वे मुक्त हो जाएंगे, निश्चय ही वे मुक्त हो जाएंगे। यह भगवान चैतन्य का आशीर्वाद है।"|Vanisource:690910 - Bhajan and Purport to Hari Hari Biphale - Hamburg|690910 - हरी हरी बिफले की भजन और व्याख्या - हैम्बर्ग}}

Latest revision as of 09:49, 4 November 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"नरोत्तम दास ठाकुर की व्याख्या कहती है कि इस युग मे, यद्यपि लोग मद्यप, व्यभिचारी, मांस भक्षी और जुआरी हैं, सभी तरह के पापी अभिनेता हैं, फिर भी यदि वे इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को ग्रहण करते हैं और हरे कृष्ण जपते हैं, तो वे मुक्त हो जाएंगे, निश्चय ही वे मुक्त हो जाएंगे। यह भगवान चैतन्य का आशीर्वाद है।"
690910 - हरी हरी बिफले की भजन और व्याख्या - हैम्बर्ग