HI/691222b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉस्टन]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉस्टन]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/691222SB-BOSTON_ND_02.mp3</mp3player>|"सफल जीवन का अर्थ है हमारी भावनामृत को कृष्ण भावनामृत में बदलना। यही सफलता है। लब्ध्वा सु-दुरलभम् इदं बहू-सम्भवानते। हमें यह कई, कई जन्मों, के बाद मिला है, मायामयी, यह मानव जीवन का रूप है। इसलिए शास्त्र कहते हैं। तूर्णम यतेता। मैं बहुत प्रसन्न हूँ। आप सभी युवा लड़के और लड़कियाँ, आप भाग्यशाली हैं। मैं आपको झांसा नहीं दे रहा हूँ। वास्तव में आप भाग्यशाली हैं। आप सही जगह पर आए हैं, जहाँ आप कृष्ण भावनामृत सीख सकते हैं। यह जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है।"|Vanisource:691222 - Lecture SB 02.01.01-5 - Boston|691222 - प्रवचन SB 02.01.01-5 - बॉस्टन}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/691222 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|691222|HI/691223 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|691223}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/691222SB-BOSTON_ND_02.mp3</mp3player>|"सफल जीवन का अर्थ है हमारी भावनामृत को कृष्ण भावनामृत में बदलना। यही सफलता है। लब्ध्वा सु-दुरलभम् इदं बहू-सम्भवानते। हमें यह कई, कई जन्मों, के बाद मिला है, मायामयी, यह मानव जीवन का रूप है। इसलिए शास्त्र कहते हैं। तूर्णम यतेता। मैं बहुत प्रसन्न हूँ। आप सभी युवा लड़के और लड़कियाँ, आप भाग्यशाली हैं। मैं आपको झांसा नहीं दे रहा हूँ। वास्तव में आप भाग्यशाली हैं। आप सही जगह पर आए हैं, जहाँ आप कृष्ण भावनामृत सीख सकते हैं। यह जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है।"|Vanisource:691222 - Lecture SB 02.01.01-5 - Boston|691222 - प्रवचन श्री.भा. 0२.0१.0१-- बोस्टन}}

Latest revision as of 23:20, 20 June 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सफल जीवन का अर्थ है हमारी भावनामृत को कृष्ण भावनामृत में बदलना। यही सफलता है। लब्ध्वा सु-दुरलभम् इदं बहू-सम्भवानते। हमें यह कई, कई जन्मों, के बाद मिला है, मायामयी, यह मानव जीवन का रूप है। इसलिए शास्त्र कहते हैं। तूर्णम यतेता। मैं बहुत प्रसन्न हूँ। आप सभी युवा लड़के और लड़कियाँ, आप भाग्यशाली हैं। मैं आपको झांसा नहीं दे रहा हूँ। वास्तव में आप भाग्यशाली हैं। आप सही जगह पर आए हैं, जहाँ आप कृष्ण भावनामृत सीख सकते हैं। यह जिंदगी का सबसे बड़ा वरदान है।"
691222 - प्रवचन श्री.भा. 0२.0१.0१-५ - बोस्टन