HI/700115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
एक कुत्ते को मालिक द्वारा जंजीर से बांधा जाता है, परंतु वह सोचता है कि वह बहुत प्रसन्न है । वह यह नहीं सोचता है कि 'मैं पूरी तरह से निर्भर हूं और मैं जंजीर में बंधा हुआ हूँ । मेरे पास कोई स्वतंत्रता नहीं है । मैं स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकता ।' यँहा तक की यदि उसकी जंजीर भी निकाल दी जाए, तब भी वह जंजीरो में ही रहना चाहता है । यह माया है । जीवन की किसी भी स्थिति में, हर कोई सोचता है कि वह खुश है । परंतु वास्तव में वह नहीं जानता कि प्रसन्नता क्या है । इसे ही माया कहा जाता है ।
700115 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.९ - लॉस एंजेलेस