HI/700512b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:23, 10 September 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कृष्ण कहते हैं, यद् गत्वा न निवर्तन्ते तद धामा परमम् ममा (भ.गी. १५.६)। मॉम उपेत्या कौन्तेया दुखालयम अशाश्वतं, नाप्नुवन्ति महात्मनः (भ.गी. ८.१५): 'कोई भी व्यक्ति, किसी न किसी प्रकार, कृष्ण भावनामृत विकसित करके, मेरे (कृष्ण के ) पास आता है, उसे भौतिक संसार में वापस लौटना तथा किसी भौतिक शरीर को स्वीकार नहीं करना है।' उसे कृष्ण जैसा शरीर प्राप्त होता है, सच-चिद-आनंद-विग्रह (ब्र.सं. ५.१)।" |
700512 - प्रवचन इशो ०८ - लॉस एंजेलेस |