HI/700614 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो हम हर किसी को मौका दे रहे हैं: कोई बात नहीं आप तृतीय श्रेणी, चौथी श्रेणी, पाँचवीं श्रेणी, दसवीं श्रेणी के हैं। आप जो भी हैं, आप प्रथम श्रेणी में बनने के लिए आते हैं। हम सभी को आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे पास कोई भेद-भाव नहीं है। कृष्ण के पास कोई भेद-भाव नहीं है।
मॉम ही पार्था व्यपाश्रित्या
ये 'पि स्यूः पाप योनय:
(भ.गी. ९.३२)

'मेरे प्यारे अर्जुन, अगर कोई कृष्ण भावनामृत को अपनाता है, तो कोई बात नहीं कि वह एक घृणित परिवार में पैदा हुआ है, 'स्त्रियो वैश्यास तथाशूद्रास' या मानव समाज में, पुरुषों का कम-बुद्धिमान वर्ग जैसे शूद्रा या महिलाएं। कोई बात नहीं। जो कुछ भी वह हो सकता है या हो सकती है, अगर वह कृष्ण भावनामृत को अपनाता या अपनाती है, 'ते 'पि यान्ति पराम गतिम्,; वे भी उस स्तर तक उन्नति कर सकते हैं जहां से वह वापस घर, देवभूमि जा सकता है'। इसलिए हमारे लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। हम यह नहीं कहते कि 'तुम मत आओ'। हम सभी को आमंत्रित करते हैं, 'प्रसाद ग्रहण करें, हरे कृष्ण का जाप करें'। यही हमारा कार्यक्रम है।"

700614 - प्रवचन श्रीला बलदेव विद्याभूषण आविर्भाव - लॉस एंजेलेस