HI/700630c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700630SB-LOS_ANGELES_ND_03.mp3</mp3player>|"यह किसी की पसंद पर निर्भर करता है। यदि आप चाहते हैं, आपको लगता है कि संन्यास आश्रम को स्वीकार करने से आप कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ सकते हैं, तो आप इसे स्वीकार कर सकते हैं। यदि आप इसका पालन नहीं करते हैं तो यह केवल एक दिखावा करने जैसा है। परंतु यदि आप ऐसा सोचते हैं  मैं परिवार के सदस्यों के साथ रहता हूं, तो वह मेरी कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ने में सहायता करते हैं', तो आप इस प्रकार जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कोई उत्तरदायित्व नहीं है कि आपको संन्यासी बनना है या आपको ब्रह्मचारी बनना है,नहीं। कोई भी स्तर हो, यदि आपका उद्देश्य कृष्ण और विष्णु हैं, तो यह आपका आत्महित है।" |Vanisource:700630 - Lecture SB 02.01.01 - Los Angeles|700630 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०१.०१ - लॉस एंजेलेस}}
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Latest revision as of 15:24, 20 January 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह किसी की पसंद पर निर्भर करता है। यदि आप चाहते हैं, आपको लगता है कि संन्यास आश्रम को स्वीकार करने से आप कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ सकते हैं, तो आप इसे स्वीकार कर सकते हैं। यदि आप इसका पालन नहीं करते हैं तो यह केवल एक दिखावा करने जैसा है। परंतु यदि आप ऐसा सोचते हैं मैं परिवार के सदस्यों के साथ रहता हूं, तो वह मेरी कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ने में सहायता करते हैं, तो आप इस प्रकार जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कोई उत्तरदायित्व नहीं है कि आपको संन्यासी बनना है या आपको ब्रह्मचारी बनना है, नहीं। कोई भी स्तर हो, यदि आपका उद्देश्य कृष्ण और विष्णु हैं, तो यह आपका आत्महित है।"
700630 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०१.०१ - लॉस एंजेलेस