HI/700702 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:47, 19 September 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भौतिक वैज्ञानिक, वे कहते हैं कि कोई आत्मा नहीं है, क्योंकि वे देख नहीं सकते हैं। उनके उपकरणों के साथ या उनके ज्ञान के साथ यह संभव नहीं है। अपश्यतां। वे इसे नहीं देख पाते हैं। इसलिए हम अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर सकते। ये आँखें सबकुछ देखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह निश्चित स्थिति में है, यह हमें कुछ आभास देती हैं। इसलिए मेरे गुरु महाराज कहते थे कि संतों को आँखों के माध्यम से नहीं, अपितु कानों के माध्यम से देखा जाना चाहिए। देखने की अलग-अलग प्रक्रियाएँ होती हैं। यह विश्वास मत करो कि आपकी आँखें सब कुछ देखने के लिए पर्याप्त हैं। नहीं।" |
700702 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०१.०१-४ - आंशिक अभिलेख - लॉस एंजेलेस |