HI/700703b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७० Category:HI/अम...") |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७०]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७०]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - लॉस एंजेलेस]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700703IN-LOS_ANGELES_ND_02.mp3</mp3player>|" जब | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/700703 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700703|HI/700703c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|700703c}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/700703IN-LOS_ANGELES_ND_02.mp3</mp3player>|"जब आप जप करते हैं, आपको श्रवण भी करना चाहिए। हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम, हरे हरे। आपको जप के समय श्रवण भी करना चाहिए। इस प्रकार मन और इन्द्रियां बद्ध रहतीं हैं। वह ही समाधि है। वह ही योग की सिद्धि है। यह योग भगवद्गीता में अनुशंसित है: योगिनाम अपि सर्वेशां मद गातेनान्तर-आत्मना (भगवद्गीता ६.४७)। तो प्रत्येक व्यक्ति, जब वह जप करे, उसका श्रवण भी करना चाहिए।" |Vanisource:700703 - Lecture Initiation - Los Angeles|700703 - प्रवचन Initiation - लॉस एंजेलेस}} |
Latest revision as of 02:41, 22 September 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जब आप जप करते हैं, आपको श्रवण भी करना चाहिए। हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम, हरे हरे। आपको जप के समय श्रवण भी करना चाहिए। इस प्रकार मन और इन्द्रियां बद्ध रहतीं हैं। वह ही समाधि है। वह ही योग की सिद्धि है। यह योग भगवद्गीता में अनुशंसित है: योगिनाम अपि सर्वेशां मद गातेनान्तर-आत्मना (भगवद्गीता ६.४७)। तो प्रत्येक व्यक्ति, जब वह जप करे, उसका श्रवण भी करना चाहिए।" |
700703 - प्रवचन Initiation - लॉस एंजेलेस |